कविता

मुस्कान

दूजो के चेहरों पर, मुस्कान लाएंगे
अपना चेहरा, स्वत: खिला पाएंगे
सारा तनाव फिर, दूर हो जाएगा
होगा प्रसन्न मन, कष्ट मिट जाएंगे

तन से ,मन से, या फिर वचन से
कमजोर को गर, ढांढस बंधाएंगे
अपना भविष्य भी, संवर जाएगा
अच्छे कर्म कभी, व्यर्थ न जाएंगे

कल्याण कार्य में, पीछे क्यों रहना
जितना हो संभव, सहयोग करना
बूंद बूंद से ही, भरता है सागर
करें थोड़ा योगदान,धन्य हो जाएंगे

ईश्वर ने आप पर, रहमत जो की है
सुख-सुविधाओं की,पूंजी जो दी है
उसका एक अंश,भी यदि निकाला
आप फिर और , सम्पन्न हो जाएंगे

परिवार का ध्यान तो सब ही रखते
सबकी इच्छाओं की, चिन्ता करते
गैरों की भी जो, परवाह कर ली
व्यैक्तिक ऋण से उऋण हो जाएंगे

गिरते हुए को , सहारा दिया यदि
मुश्किल घड़ी में, बढ़ाई जो हिम्मत
दुआओं का भी, होता है असर
वक्त आने पर, कबूल कर जाएंगे।

सरकारें सब अपना, काम कर रहीं
नई नई योजनाएं, बखान कर रहीं
भ्रष्टाचार अब भी, है बड़ी समस्या
दूर हो गई तो, महान बन जाएंगे ।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई