मुक्तक/दोहा

मेरी बातें

छोड़ चलो तुम अहंकार को, बनो नेक इंसान।
सदा सत्य मीठी वाणी हो, प्राप्त करो सम्मान।।
आज जमाना सुंदरता का, यहीं लगाते ध्यान।
चन्द्र तेज सा मुखड़ा जिनका, खूब उन्हें अभिमान।।

चार दिनों का जीवन सब का, कभी छाँव अरु धूप।
उम्र ढलेगी वृद्धावस्था, ढल जाएगा रूप।।
पढ़े लिखे मानव हैं सारे, फिर भी कैसी सोच।
गोरा मुखड़ा मन को भाये, काले से संकोच।।

नहीं सिखाती है संस्कृति ये, मानव करना भेद।
भाईचारा प्रेम जगाओ, पढ़ो सभी तुम वेद।।
मत भागो तुम इसके पीछे, रहे कभी ना यार।
हाथ सभी मलते बैठोगे, होगा दिन बेकार।।

अगर मिले जी सच्चा साथी, ग्रहण करो तुम ज्ञान।
ज्ञान बिना इस माटी तन का, नहीं बनै पहचान।।
गर संस्कार नहीं जीवन में, रंग रूप बेकार।
सुनो ध्यान से मेरी बातें, खुशी मिलै भरमार।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priyadewangan1997@gmail.com