कविता

अपना गांव बड़ा ही अच्छा है

पुरइन माता का पुत्र पुरैना,
गांव बड़ा ही अच्छा है,
अपना गांव बड़ा ही अच्छा है।
शुक्ल घराने का शुभारंभ,
हुआ भवानी बाबा से।
आज गांव के लोग सुरक्षित,
सती माता की आभा से।
आज भी आशीष बड़ों का,
सुख – शान्ति का कारण है।
ग्राम देवता के सुमिरन में,
हर कारण का सुखद निवारण है।
इसी गांव से प्रथम विधायक,
हुए थे पं.श्री देवनन्दन शुक्ल,
दरोगा के पद पर आसीन,
रहे पं.बाबूनंदन शुक्ल।
पं.कुबेर जी रजिस्ट्रार थे,
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के,
आशीष हस्त मां सती का जिनपर
उनके कर्तव्य परायण में।
सेक्रेटरी साहब के नाम से,
जाने जाते थे बाबा सूर्यदेव।
कृषि अध्यापक श्री रामबहादुर,
रेलवे गार्ड श्री चन्द्र देव।
प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य,
पं. राजेन्द्र शुक्ल जी नामीग्रामी थे।
जो पं.करुणापति के थे ससुर,
बहुत ही प्रतिभाशाली थे।
पढ़ाने का ढंग था बड़ा अनोखा,
देर से जाने की आदत थी।
बड़े आदमी में गिनती थी,
सत् कर्म ही उनकी इबादत थी।
उन्हें देख कर गांव में अपने,
टीचर कई बने थे
जितने भी थे बने अध्यापक,
सबके सब ही भले थे।
छोटकू बाबा श्री इन्द्र देव,
गणित अध्यापक श्री अनिरुद्ध।
श्री रामप्यारे श्रीराम बहाल जी,
सब के सब ही थे प्रवुद्ध।
आयुर्वेदाचार्य श्री विद्याधर जी,
बी.एच.यू.में एक मिसाल थे।
अनुज वैद्य श्री राजदेव, बाबूराम,
अपने गांव की अद्भुत शान थे।
मुझे याद है एक बार क्षेत्र में,
चुनाव विधानसभा का था।
श्री विद्याधर जी थे खड़े निर्दल से,
‘तारा’ निशान उनका था।
अपने गांव की पावन मिट्टी ने,
प्रतिभाशाली को जन्म दिया है।
कुछ गांव में कुछ रहकर बाहर,
अपने गांव का नाम किया है।
सेवा निवृत्त आज भी हैं जो,
श्रीधर चाचा श्री नरसिंह जी साक्षी हैं
हर लड़का शिक्षित बने गांव का,
हम इसके आकांक्षी हैं।
बाबा जनार्दन सुशील चंन्द्र,
दोनों ही थे प्रोफेसर।
डाक घर करायल के,
पोस्ट मास्टर पिता श्री कामेश्वर।
आज भी सेना में सैनिक,
और पुलिस में कितने बच्चे हैं।
दूर कटुता वैमनस्य से,
सब के सब ही अच्छे हैं।
भाषा हिन्दी साहित्य जगत में,
पा रहा आशीष अशेष।
श्री महातम शुक्ल जी के सुपुत्र,
शिक्षक श्री पंकज ‘प्राणेश’।
आज भी भ्राता विजय शंकर जी,
कृषि – क्षेत्र अधिकारी हैं।
हड्डी विशेषज्ञ देवरिया में,
भ्राता विपिन बिहारी हैं।
श्री प्रद्युम्न श्री अमरनाथ,
एक कुशल अभियंता हैं।
सच पूछें तो गांव के रक्षक,
सबके जगत नियंता हैं।
श्री गोकुल शुक्ल के पौत्र ऋषभ,
लगता है कुछ ऐसा काम करेंगे।
जन सेवक जन नायक बनकर,
दादा परदादा का नाम करेंगे।
श्री चन्द्रिका शुक्ल के सुपुत्र,
जो पूरे जनपद की शान हैं।
सुसंस्कारी श्रीकृष्ण गोपाल पर,
हमें बहुत अभिमान है।
एस.डी.ओ.आशीष शुक्ल,
आशुतोष शुक्ल अध्यापक हैं।
इन दोनों की व्यवहार कुशलता,
पूरे गांव में व्यापक है।
राजनीति के क्षेत्र में देखें,
उभरता एक सितारा है।
काशीपति शुक्ल नाम है जिनका,
भ्राता अनुज हमारा है।
बाबा मेघनाथ का गांव पुरैना,
जाने बच्चा- बच्चा है।
पुरइन माता का पुत्र पुरैना,
गांव बड़ा ही अच्छा है।
गांव बड़ा ही अच्छा है।

— हरिशंकर शुक्ल

हरिशंकर शुक्ल

वरिष्ठ साहित्यकार व समाज सेवी,ग्राम-पुरैना शुक्ल,पोस्ट-करायल शुक्ल,बरहज-देवरिया,उत्तर प्रदेश