कविता

कविता

ख्बाव के अंधेरे में उलझा हुआ इंसान है,
रिश्तों की बात आई तो जल उठा इंसान है ।
चेहरे को जिस भीड़ में हमने हंसते देखा है,
तन्हाई में उस चेहरे को सिसकते हुए देखा है ।
वक्त के थपेड़ों में सबको  घिसटते देखा है,
समय के साये में दिल टूटते हुए  देखा  है ।
भाई प्यार भी जहाँ   में एक अभिशाप है,
प्यार करने और पाने दोनो में पश्चाताप  है।
नाजुक दिल में उतना ही किसी को डुबने दें,
जो कभी नासुर ना बना दे इस जीवन को।
— शिवनन्दन सिंह

शिवनन्दन सिंह

साधुडेरा बिरसानगर जमशेदपुर झारख्णड। मो- 9279389968