कविता

प्रेम

जो तुझसे कुछ चाहा नहीं तो
बन जाती है ताकत
पर ज्यु तुझसे आशायें जुड़े
तो बन जाती है कमजोरी
मतलब हो  जहां तू
लुप्त हो जाता है वहां
पर जो अपेक्षाओं के परे
वो तुममे पहाड़ों सा
ताकत है भरें।
तेरा ताकत से हम
मंजिलों को आसानी
से पा जायें
जो तु कमजोर हो तो
जीवन व्यर्थ हो जाएं।
तेरी ताकत हमारे
गुणों को है निखारती
तेरी कमजोरी हमें जड़ों
से उखाड़ती
प्रेम तु पवित्र बड़ा
तुझमें ताकत अग्नि जैसा
जो तु आ जाये जीवन में तो
असंभव कुछ भी नहीं यहां।

— प्रियंका पेडिवाल अग्रवाल

प्रियंका पेड़ीवाल अग्रवाल

विराटनगर-नेपाल