सामाजिक

जिस ओर जवानी चले उस ओर ज़माना चले

बुलंद भारत की तस्वीर में रंग भरने का काम आजकल की युवा पीढ़ी बखूबी कर रही है, जरूरत है उनको हर सुविधा उपलब्ध करवाने की।
जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है इस कथन को सार्थक करते युवा शक्ति देश और समाज की उन्नति में अपना भरपूर योगदान दे रही है। मजूर वर्ग से लेकर हर कुर्सी पर बैठा युवा रीढ़ है विकास की। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते है। युवा देश का वर्तमान है, भविष्य का सेतु भी है। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वाकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है।
हर क्षेत्र में युवाओं ने अपने कौशल के दम पर क्रांति लाने की कोशिश की है, पर फिर भी देश में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या शोचनीय मुद्दा इसलिए है क्योंकि कोरोना की वजह से आर्थिक रुप से बेहाल हुआ देश अभी तक नहीं उभर पाया। आज हर वर्ग के युवाओं को काम की जरूरत है।
युवा शक्ति को शिक्षा, और प्रशिक्षण द्वारा बेहतर मानव संसाधन के रूप में विकसित करने पर सरकार भी अपनी तरफ़ से बेहतर काम कर रही है; जिससे गरीबी और बेरोजगारी का समाधान अचूक मिलेगा।
महामारी के समय अनेक लोगों को अपने रोजगार, और नौकरी से हाथ धोना पड़ा इसलिये जरूरी है कि हमारे देश के उन सभी बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जाए।  युवाओं की ऊर्जा को उनके हुनर को बाहर निकाला जाए, निखारा जाए, शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाकर युवाओं में तकनीकी क्षमता विकसित की जाए, जिससे भारत उभरती अर्थव्यवस्था की मुख्य चुनौतियों से निपटने में सफल हो सकें। वोकेशनल ट्रेनिंग के माध्यम से युवाओं को उस दिशा में लक्ष्य केंद्रित करवाने की जरूरत है, जो देश को समृद्धि की चरम तक ले जाए और हर युवाओं को आत्मनिर्भर करने में मददरुप हो सकें।
युवा देश के कर्णधार है, उन्हें यह जिम्मेदारी समझनी ही होगी। आज विश्वभर में अधिकतर युवा विदेश में बसे भारतीयों की सुख-सुविधा को देखते हुए अपना देश छोड़कर दूसरे देशों की ओर जा रहे है। डालर की चकाचौंध जो लुभाती है। पर युवा अगर अपनी उर्जा और काबिलियत अपने देश को आगे ले जानें में लगाएँगे तो भारत भी अग्रेसर होते महासत्ता की ओर कदम बढ़ा सकता है। अपने ही देश में रहकर लाखों में सेलरी लेने वाले युवाओं की कमी नहीं। काबिलियत कद्र हमारे देश में भी होती है, तो क्यूँ न अपने देश की सेवा करके मातृभूमि को आसमान की ऊँचाई तक ले जाएँ।
हमारे देश में उच्चतर शिक्षा को नि:शुल्क करने की जरूरत है। कभी-कभी देखा जाता है कि होनहार और काबिल बच्चें पैसों की कमी की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते। व्यवसायिक शिक्षा की जरूरत सिर्फ़  वंचित समुदायों के लोगों को ही नहीें बल्कि उन तमाम लोगों को भी है जो औपचारिक शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाते। भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और युवा शक्ति न्यू इंडिया का आधारस्तंभ है। केंद्र सरकार की नीतियों में, बजट में और योजनाओं में युवाओं को लेकर भविष्य के विकास का प्रतिबिम्ब नज़र आता है। जैसा कि अमृत काल के बजट में युवाओं और उनके भविष्य को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप से युवाओं की तकदीर बदल रही है। सुधारों के साथ शिक्षा क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी तभी युवाओं के दम पर दुनिया के सामने भारत मजबूती से खड़ा रह पाएगा।
एक बात और है कि देश को समृद्धि की ओर प्रस्थान करना है तो भ्रष्टाचार और अनामत जैसे दूषणों को दूर करना होगा। अनामत का अजगर होनहार बच्चों की कुर्बानी ले रहा है, यही वजह है जो युवाओं को अपनी सरज़मीं छुड़वाकर दूसरे देशों में जाकर बसने के लिए मजबूर करता है। जिसकी जितनी काबिलियत उस हिसाब से काम मिलना चाहिए। सिर्फ़ अनामत के दम कुर्सी पर बैठने वाले देश के विकास का बेड़ा गर्द कर देते है।
— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर