लघुकथा

लघुकथा – रंग रूप

रेनू का रंग रूप देखने में अच्छा नहीं था लेकिन वो पढ़ने में होशियार होने के साथ साथ एक्टिंग अच्छी करती थी| स्कूल में जब भी प्रोग्राम होते है वह उसमें हिस्सा लेती थी| एक बार उनके स्कूल में फिल्मों के डायरेक्टर को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया और बोले ” तुम फिल्मों में काम करोगी ” रेनू ने हाँ बोल दिया  रेनू को  अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया| आज वह बतौर हीरोइन काम करती है
सच है रंग रूप कोई मायने नहीं रखता है| अगर हम में कोई प्रतिभा है तो वह किसी से छिपी नहीं रह सकती

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश