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प्रतिभा संगीत की

 भारत आदि अनादि काल से प्रतिभाओं का धनी रहा है। यहां हर क्षेत्र में ऐसी अनेक गौरवशाली प्रतिभाएं हैं अगर हम उनका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के यहां कुछ ही नहीं बल्कि हर नागरिक में एक शौर्य प्रतिभा समाई हुई है जिसका अंदाज़ शायद उस प्रतिभावान व्यक्ति को भी नहीं होगा।
हमें रानू मंडल नाम याद होगा कुछ वर्ष पहले वह पश्चिम बंगाल के राणाघाट स्टेशन में भीख मांगती थी। एक दिन किसी ने रेलवे स्टेशन पर उनकी वीडियो सूट की और सोशल मीडिया पर डाल दिया। इस वीडियो में वह गीत गा रही थी। एक प्यार का नगमा है! रानू का यह गीत गाते हुए वीडियो काफी वायरल हो गया था। इसके बाद उसकी किस्मत ऐसे चमकी जिसके बाद वह सीधे बॉलीवुड में चली गई। जहां पहुंचना किसी के लिए आम बात नहीं था। जहां से एक भीख मांगने वाली औरत कहां से कहां पहुंच गई। सोशल मीडिया ने उसको एक ही रात में स्टार बना दिया था। उसके बाद उन्हें फिल्म में गाने का मौका भी मिला। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से ऐसे गुमनाम कलाकारों को समर्पित बातों की चर्चा और उनकी प्रतिभाओं का विश्लेषण करेंगे।
हम सड़क ट्रेन मंदिरों फुटपाथों चौराहों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को देखें तो, हम सब ने उनकी अभूतपूर्व प्रतिभा देखी होगी कि कितनी मीठी वाणी में गीत गाते हैं, दो पत्थरों डिब्बों या अन्य वेस्ट चीजों से अभूतपूर्व संगीत बजाते हैं जैसे कोई अद्वितीय वाद्य हो और इस कला का प्रदर्शन देख हम उन्हें पांच दस रुपया दे देते हैं जिनमें उनकी रोजी-रोटी चलती है परंतु हमने उनकी उस कला को शिखर तक पहुंचाने, उन्हें साथ देने की कभी सोचे नहीं या सोचे भी तो कितनी रानू मंडल जैसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाएं? यह एक सोचनीय प्रश्न है? हालांकि सरकारें समय समय पर कुछ प्रोत्साहन उत्सव चलाती रहती है।
साथियों बात अगर हम सड़क ट्रेन मंदिरों फुटपाथ व चौराहों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने की करें तो, आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव मनाने और कीर्तिगान करने तथा विश्व संगीत दिवस होने के अवसर पर देश भर से दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी एक उत्सव  का आयोजन किया था। इस उत्सव में सड़क पर प्रदर्शन करने वाले, ट्रेन में मनोरंजन करने वाले और मंदिरों से जुड़े कलाकार भी शामिल हुए थे। केंद्रीय संस्कृति, ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। दुर्लभ वाद्य यंत्रों के निर्माण पर कार्यशाला आयोजित की गई थी जो शैक्षिक और इंटरैक्टिव दोनों साबित हुई। इस महोत्सव में देश के कोने-कोने से कलाकार भाग लिए थे।दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्र बजाने के अनुभव के साथ-साथ उन्हें तैयार करने के कौशल को संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने तथा उन गुमनाम कलाकारों को पहचान देने के उद्देश्य से इस उत्सव की परिकल्पना की गई थी, जो शायद ही कभी लाइमलाइट देखते हैं। संगीत नाटक अकादमी का भारत से लुप्त हुई कलाओं को उबारने का यह एक अनूठा प्रयास है और यह अनूठी पहल उत्सव के बाद भी जारी रहेगी।
संगीत भारत के हर गली और कोने में सुनाई देता है। खुले आसमान के नीचे अपनी बांसुरी और ताली बजाते हुए राहगीरों का मिलना कोई अचरज वाली बात नहीं है। चाहे बारिश हो या धूप ये लोग आसानी से मिल जाते हैं। जिन्हें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़ी सी भी नीरसता दूर करने लिए शायद ही कभी धन्यवाद दिया जाता है। हमारे पास दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों का ढेर भी है जो अपनी कम होती लोकप्रियता और घटते संरक्षण के कारण धीरे-धीरे सार्वजनिक डोमेन से दूर होते जा रहे हैं।
हम हर साल विश्व संगीत दिवस मनाने को देखें तो इसको मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। इसको मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके सेम्यूजिक का प्रोपेगैंडा तैयार करने के अलावा एक्सपर्ट व नए कलाकारों को इक्क्ठा करके एक मंच पर लाना है। विश्व भर में, इस दिन संगीत और ललित कला को प्रोत्साहित करने वाले कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।संगीत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो न केवल मन को शांति पहुंचाता है बल्कि हमें खुश रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ऐसे में हर वर्ष विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है।
संगीत को भारत में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक  विरासत की करें तो, भारत में गीत-संगीत, नृत्य, नाटक-कला, लोक परंपराओं, कला-प्रदर्शन, धार्मिक-संस्कारों एवं अनुष्ठानों, चित्रकारी एवं लेखन के क्षेत्रों में एक बहुत बड़ा संग्रह मौजूद है जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है। इनके संरक्षण हेतु संस्कृति मंत्रालय ने विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को कार्यान्वित किया है जिसका उद्देश्य कला-प्रदर्शन, दर्शन एवं साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय व्यक्तियों, समूहों एवं सांस्कृतिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,
आओ गुमनाम प्रतिभाओं कलाकारों की प्रतिभाओंं को प्रोत्साहन दें। सड़क ट्रेन मंदिरों फुटपाथ व चौराहों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले प्रतिभाशाली कलाकारों को पहचान दें
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया