धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ब्रह्म, वायु पुत्र, प्रकांड विद्वान, ज्योतिष विद्वान, संगीतज्ञ: रामभक्त हनुमान

हनुमान जयन्ती (5 अप्रेल) विशेष

ब्रह्मचारी राम भक्त हनुमान रामायण के प्रतिष्ठित एंव बलपूर्वक पात्र हैं। संजीवनी बूटी लाकर लक्षमण को जीवंत करना उनका एक सर्वश्रेष्ठ उद्यम माना जाता है।

वह मानवता के सर्वगुण सम्पन्न थे। वह एक महान संगीतज्ञ, अच्छे गायक, प्रकांड विद्वान, ज्योतिष विद्वान, वायु पुत्र, बजरंगी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता, पीतांबर, बल, बुद्धि और विद्या के गहरे सागर और कर्मठता के सच्चे स्वामी थे।

सूर्य के वर से सुवर्ण के बने हुए सुमेरू में राजा केसरी का राज्या था। उनकी पत्नी का नाम अंजनी था जो बहुत ही ख़ूबसूरत थी। एक बार उन्होने  स्नान करके अति सुन्दर वस्त्र भूषण पहने। उस समय पवन देव ने उनके कर्णरंध्र में प्रवेश करके उन्हें आश्वासन दिया कि तुम्हारी कोख से सूर्य, अग्नि, सुवर्ण के सामान तेजस्वी, वेद-वेदांगों का ज्ञाता तथा विश्ववन्द्य महाबली पुत्र होगा। फिर ऐसा ही हुआ। चैत्र शुक्ल की पूर्णिमां में अंजनी के उदर से हनुमान जी का जन्म हुआ। द्वितीय प्रहर के बाद जैसे ही सूर्यादय हुआ वैसे ही उनकी भूख जाग गई। माता अंजनि उनके लिए बाहर फल लेने चली गई। हनुमान जी की नज़र उदित हुए सूर्य पर जा पड़ी। उन्होने सूर्य को एक फल समझा और उसकी और उछल पड़े। उस दिन अमावस होने के कारण राहु सूर्य को ग्रसने के लिए आया हुआ था। जब उसने सूर्य को ग्रसने की कोशिश में हनुमान जी को देखा तो वह भयभीत हो गया और वह भाग गया वह समझा कि हनुमान कोई और राहू हैं। तब इन्द्र ने हनुमान जी पर ब्रज का प्रहार किया। ब्रज प्रहार से उनकी ठोडी टेडी हो गई। इसी कारण ही वे हनुमान कहलाए। हनुमान को उनके नामों से पुकारा जाता है। उन्हें वायु पुत्र भी कहा जाता है। हनुमान जी को पीतंबर से अलंकृत कहा गया है इनके द्वारा श्रेत वस्त्र धारण करने का भी वर्णन मिलता है।

राम भक्त हनुमान बुद्धि, शक्ति और विद्या के गहरे सागर थे ज्योतिष के प्रकांड विद्वान तथा अष्ट सिद्धि और नौ निथियों के स्वामी और तमाम विद्याओं के दाता थे। हनुमान ने इस ज्योतिष की शिक्षा कई ऋर्षियों मुनियों को भी दी थी। हनुमान ज्योतिष में कुल 40 सूत्र हैं। हनुमान महान संगीतज्ञ तथा अच्छे गायक थे उनकी मधुर आवाज़ में सम्मोहन करने की शक्ति थी। हनुमान जी का नाम बजरंगी भी है जो उन के बजरंग वाण सा पाठ कहता है उनका जीवन सफल हो जाता है।

हनुमान जी ने सीता माता जी से मांग में सिंदूर डालने का कारण पूछा तो उन्होने कहा कि इसके लगाने से मेरे स्वामी की लंबी आयु होती है। तब उन्होने अपने सारे शरीर पर सिंदूर डाल लिया तां कि अपने स्वामी को सदैव प्रसन्न कर लूं। तब से उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाता है। हनुमान जी को बजरंग बली संकट मोचन, केसरी नंदन, अंजनी पुत्र, सविराज महाबीर पवन पुत्र आदि नाम की संज्ञा दी जाती है। हनुमान जयंती पर देश विदेश में धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। देश भर में हर्ष और अध्यात्मिकता का माहौल पाया जाता है। हनुमान आरती, चालीसा पढ़े जाते हैं। मन्दिर रौशनियों से जगमग करते हैं।

— बलविंद्र बालम 

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409