कविता

कविता

क्यूँ आ जाते हो तुम मेरे जीवन में किसी टूटे दिल की तरह।
हर जगह,हर वक्त क्युं मिल जाते हो प्रेमी की तरह।।

कभी तो अकेले रहने दिया करो,
क्यूँ? सताते हो मुझे बच्चों की तरह ।

क्यूँ बैचेन कर जाते हो मुझे कशमकश की तरह।।
जब भूलना चाहती हूँ तो याद आ जाते हो,
पहली मोहब्बत की तरह।

क्या तुम भी मेरे बगैर नही रह पाते हो ?
जब भी तुमसे दूर भागती हूँ तुम पीछा करते हुए आ जाते हो
क्यूँ जकड़ लेते हो दिल और दिमाग को जंजीर की तरह
आखिर क्या चाहते हो तुम मुझसे
किस बात का बदला लेते हो कभी मेरे दिल में आकर कभी दिमाग में बस जाते हो दुशमन की तरह
कोई रिश्ता तो है तुम्हारे और मेरे बीच में तुम्हे उसी रिश्ते की कसम चले जाओ मेरी दुनिया से
या बन जाओ शीतल जल की तरह या मेरी माँ की ममता की छाँव की तरह
बस जीने दो मुझे जीने दो मुझे और हर उस शक्स को जो तुम्हे गले लगाता है जीवन की तरह ।
बताओ ए तनाव क्या तुम भी मुझे नही भूल पाते हो
क्या तुम भी मेरे बगैर नहीं रह पाते हो
क्या तुम भी चाहते हो मुझे अपनी धड़कन की तरह

बताओ ?ए तनाव ,मुझे तुम भी भूल नही पाते हो मुझे जीवन की तरह।।

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.