राजनीति

राजनीतिक धमासान

वैश्विक स्तरपर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आगाज़ आज पूरी दुनिया में हो रहा है, क्योंकि जिस तरह कोविड महामारी से उबरने से लेकर अर्थचक्र तक जिस ज़ज्बे और जांबाज़ी से मुकाबला कर अपने विकास की रफ्तार तेज की है, उस सफ़लता पर दुनिया हैरान है। यह स्वाभाविक ही है कि जब कोई सफ़लता की सीढ़ियां स्पीड से चढ़ रहा हो तो गिराने वाले भी मैदान में कूद पड़ते हैं। दूसरे शब्दों में सफ़लता भी सिर चढ़ाकर अहंकार की ओर मोड़ने के तरीकों से भिड़ाती है, ताकि बंदा उसमें फंसकर उलझे और मैं फुर हो जाऊं। याने यहां दो तरफ से भारत को मुकाबला करना है, पहला गिराने वालों से दूसरा सफ़लता के अहंकार से मुकाबला करना है। चूंकि वर्तमान कुछ समय से भारतीय राजनीति में घमासान छाया हुआ है, चाहे उद्योगपति रिपोर्ट हो याफिर विदेशों में युवा नेता के बयान और अब युवा नेता को दो वर्ष की सज़ा, फिर आज लोकसभा सदस्यता रद्द का मामला इत्यादि मामलों में लोकसभा का बजट सत्र प्रथम चरण और अब द्वितीय चरण बाधित हो भेंट चड़  रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि पक्ष और विपक्ष दोनों का हंगामा सदन में हमें टीवी चैनलों के माध्यम से देखने को मिल रहा है। पक्ष माफी मांगने बोल रहा है तो विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है। अब मामला सांसद सदस्यता खारिज पर जा पहुंचा है। पक्ष ओबीसी सम्मान बचाने सोमवार से सड़क पर उतरने की बात कर रहा है, तो विपक्ष संवैधानिक संस्थाओं और संविधान को खतरे की बात कर रहा हैअब कानूनी लड़ाई राजनीतिक लड़ाई और घमासान की ओर जा रही है। इन सब मामलों को देख मतदाता कह रहा है, नेताजी हम मतदाता सारा नजारा देख, सुन,सोच, समझ रहे हैं। इसका जवाब मतदान से देंगे। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे राजनीतिक घमासान!
साथियों बात अगर हम लोकसभा से युवा सांसद की सदस्यता समाप्त होने के बाद राजनीतिक घमासान की करें तो, राजनीतिक वार पलटवार का दौर जारी है। लगातार मुख्य विपक्षी दल पक्ष और केंद्र सरकार पर हमलावर है। दूसरी ओर आज युवा नेता ने भी साफ तौर पर कहा कि उद्योगपति मामले को लेकर केंद्र की सरकार घबरा गई है। उन्होंने कहा कि चाहे मुझे कोई अयोग्य ठहराएं या जेल में डाल दें, मैं लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ता रहूंगा। दूसरी ओर पक्ष उनके बयान को ओबीसी के अपमान से जोड़ रही है। पक्ष ने साफ तौर पर कहा है कि युवा नेता नेंओबीसी का अपमान किया है। इसके साथ ही पक्ष यहभी कह रहा है कि युवा नेता मामले का संबंध उद्योगपति प्रकरण से बिल्कुल भी नहीं है। दूसरी ओर युवा नेता ने साफ तौर पर कहा कि इस मामले से ध्यान भटकाने के लिए ओबीसी के अपमान का मुद्दा पक्ष की ओर से उठाया जा रहा है। पक्ष के बड़े नेता ने शनिवार को उन आरोपों को खारिज कर दिया कि युवा नेता को लोकसभा से इसलिए अयोग्य ठहराया गया, क्योंकि पीएम उद्योगपति मुद्दे पर उनके सवालों से ‘डरे’ हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी ने आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को भुनाने के लिये गुजरात की एक अदालत द्वारा युवा नेता की दोषसिद्धि के खिलाफ फैसले पर तत्काल रोक लगवाने के लिए कदम नहीं उठाया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, उनकी बहन का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि उनकी पार्टीने कर्नाटक चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपने कानूनी विशेषज्ञों को सेवा में नहीं लगाया। एक नेता के मामले में जो तत्परता दिखाई गई थी, इस मामले में उनकी विफलता से क्या समझा सकता है?कुल मिलाकर देखकर तो राजनीतिक घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। युवा नेता के अलावा विपक्ष कई नेताओं ने पक्ष पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा है। विपक्षी पार्टी इसको लेकर बड़ी बैठक कर चुका है। उनका पूरे देश भर में प्रदर्शन का प्लान है। देशभर में प्रदर्शन की शुरुआत की जाएगी। आज भी देश के अलग-अलग हिस्सों में युवा नेता के समर्थन में प्रदर्शन हुआ है। उनको अयोग्य ठहराए जाने के बाद उनके संसदीय क्षेत्र  में भी कार्यकर्ताओं ने पीएम का पुतला फूंका है। पक्ष के राज्यसभा सांसद ने दावा किया कि युवा नेता को दंडित इसलिए किया गया है क्योंकि उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों का अपमान किया और पक्ष का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, अदालत ने उन्हें मोदी उपनाम वाले लोगों का अपमान करने का दोषी ठहराया है। उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों का अपमान किया है और अदालत ने उन्हें सजा दी है। पक्ष का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
साथियों बात अगर हम महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद और नेता की करें तो, एक नेता और राज्यसभा सांसद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। युवा नेता को संसद सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब इनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ महाराष्ट्र विधानपरिषद की आलोचना के मामले में विशेषाधिकार हनन के मामले में सुनवाई हुई, जिसमें उनके जवाब को असंतोषजनक पाया गया है. इसके बाद उनके खिलाफ प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति के पास भेज दिया गया है। उन्होंने कथित तौर पर महाराष्ट्र विधानपरिषद के सदस्यों को चोर मंडली कह कर संबोधित किया था।
साथियों बात अगर हम मतदाता की ताकत मतदान की करें तो पिछले कई दशकों से हम देख रहे हैं कि मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत बहुत कम होता है किसी राज्य में 50 फ़ीसदी से भी कभी-कभी कम होता है। यूपी जैसे बड़े राज्य में भी 50 से 60 फ़ीसदी के आस पास होता है। अभी हाल में हुए तीन राज्यों मेघालय नागालैंड त्रिपुरा चुनाव में 90 86,84 फ़ीसदी से अधिक मतदान कर अपनी ताकत को स्थानांतरित किया है जो हम चाहते हैं। मतदान के माध्यम से करके दिखाना है क्योंकि हमारे मतदान का प्रतिशत जितना अधिक होगा उसी अनुरूप में हम जिस पार्टी की सरकार चाहते हैं वह हमारी चाहत पूरी होगी इसलिए हम सबको आने वाले दिनों में 6 राज्यों के चुनाव में इस उत्सव में सहभागी होकर देखना है कि कोई भी मतदाता पीछे न छूटे हमें इस उत्सव रूपी यज्ञ में अपने मतदान रूपी आहुति जरूर देना है।
साथियों बात अगर हम हमारे द्वारा चुने गए संसद सदस्यों को सुविधाओं की करें तो, असल में सांसदों को अपने पूरे संसदीय कार्यकाल के लिए मुफ्त में एक आवास या हॉस्टल की सुविधा मिलती है । इस दौरान वो मामूली लाइसेंस फीस देकर सरकारी बंगले की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं।एक तय मानदंड के मुताबिक ही आवासों का अलॉटमेंट किया जाता है । इस दौरान बिजली और पानी के बिल एक सीमा तक माफ रहते हैं। सरकारी बंगले पर फर्नीचर की सुविधा, सोफे के कवर और पर्दों की सफाई भी इसी सुविधा में जुड़ी होती है। अलॉउंसेज एंड पेंशन ऑफ मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 2010 के अनुसार सांसद को 50 हजार रुपये महीने की सैलरी मिलती है।उन्हें संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता भी मिलता है । सांसदों को हर महीने 45 हजार रुपये संसदीय क्षेत्र के अलाउंस के तौर पर दिया जाता है। संसद सदस्यों को 500 रुपये प्रति महीने के खर्च पर अपने और अपने परिवार के लिए मुफ्त स्वास्थ्य व्यवस्था भी मिलती है। संसद सदस्यों को ट्रैवल अलाउंस भी दिया जाता है, मतलब अपने संसदीय दायित्वों को निभाने और संसद सत्र में शामिल होने के लिए की जाने वाली यात्राओं के लिए सांसदों को ट्रैवल अलाउंस मिलता है। उदाहरण के तौर पर सांसदों को ट्रेन में एक एग्जीक्यूटिव क्लास या फर्स्ट क्लास एसी का टिकट दिया जाता है। किसी भी एयरलाइंस में टिकट के किराये में एक और उसके साथ दूसरे टिकट पर एक-चौथाई किराया देना होता है। इसके साथ ही उन्हें 16 रुपये प्रति किमी के हिसाब से सड़क परिवहन का खर्च भी दिया जाता है । सांसद एक साल में 34 हवाई यात्राएं कर सकते हैं । वो भी अपने परिवार के साथ। सांसदों को हर महीने ऑफिस खर्चे के लिए 45 हजार रुपये मिलते हैं।इसके साथ ही 15 हजार रुपये स्टेशनरी और पत्राचार के लिए भी दिए जाते हैं।भत्ते के तौर पर मिलने वाली इस रकम का इस्तेमाल अपने सचिवों के भत्तों के लिए भी किया जा सकता है ।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राजनीतिक धमासान! नेताजी, हम मतदाता सबकुछ देख, सोच और समझ रहे हैं। पक्ष-विपक्ष के संसद से सड़क तक धमासान से जनता हैरान – जनता मत की ताकत ज़रूर दिखाएगी।
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया