गीत/नवगीत

अब मुझे किसी का होना नहीं है

अब मुझे किसी का होना नहीं है
बचे हुए जिंदगी को खोना नहीं है -2

ना किसी को अपना बनाना है ।
ना आंखों में सपना सजाना है ।।

अब मैं खुद ही…,
अपने आप को अपना बनाना है
अपने आपका होना है
अब मुझे किसी का होना नहीं है
बचे हुए जिंदगी को खोना नहीं है ।।

अब चाहे रोऊं… अब चाहे हंसूं
अपने लिए ही रोऊं अपने लिए ही हंसूं

अपनों को अपना सोचकर
पराए को अपना सोचकर
अब मुझे दुखी होना नहीं है
अब मुझे किसी का होना नहीं है
बचे हुए जिंदगी को खोना नहीं है ।।

खुद में ही…,
अपने आप को ही सोचकर खुश रहूंगा
अपना ही सुख में रम जाऊंगा
अपना ही दुख में रम जाऊंगा
लिखता रहूंगा… गाता रहूंगा
किसी का दुख सुख पिरोना नहीं है
अब मुझे किसी का होना नहीं है
बचे हुए जिंदगी को खोना नहीं है ।।

मनोज शाह 'मानस'

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