लघुकथा

अनोखा बन्धन

रिया और मनीष सर्विस करते थे रिया के साथ ऑफिस में  काम करने वाला रोहित को मनीष  पसन्द नहीं करता था| जब वह रिया से बात करता तो मनीष को जलन होने लगती थी वह रिया और रोहित को गलत समझता था| जब भी रिया उसको समझाने की कोशिश करती वह उस पर विश्वास ही नहीं करता था दिन पर दिन हालत खराब होते जा रहे थे| कल रक्षाबंधन था  रिया के कोई भाई नहीं था  रक्षाबंधन वाले दिन वह बैठी हुई थी  रिया किसी का इंतजार कर रही थी| डोरबेल बजी रिया ने दरवाजा खोला ” भैया आप आ गए  मैं आपका ही इंतजार कर रही थी” उसने रोहित को राखी बांधी और मिठाई खिलाई और रोहित ने उसको गिफ्ट दिया |यह सब मनीष देख रहा था| आज वो खुश था आज उसने उन दोनों को अनोखा बन्धन में देखा जिसे देख उसकी आँखों में आँसू आ गए उसका रोहित के प्रति नजरिया जो  बदल चुका था|
वह रिया और रोहित दोनों से माफी मांगने लगा उन दोनों ने उसको माफ कर दिया.
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश