कविता

ब्रह्म ज्ञान (कविता)

कल उन्होंने हमें ब्रह्म ज्ञान दिया
हमने भी करबद्ध होकर जान लिया
पहुँचे हुए सन्त थे,
अपने कर्म में अनंत थे
दिनकर से खिले थे
सीधे इंद्र से मिले थे
बोले संसार नश्वर है
सत्य केवल ईश्वर है
पंच तत्व से बनी ये काया
जीव, जगत, सब मोह-माया
आपको अपना जैसे बनाएँगे
भव सागर से पार लगाएंगे,
योग सिखाएंगे,
ध्यान की तुरीय अवस्था में ले जाएंगे
तुम मोक्ष के अधिकारी बन जाओगे
बैठे-बैठे बुद्ध-महावीर हो जाओगे
लेकिन इसकी फीस लेंगे
ब्रह्म ज्ञान से तत्काल भर देंगे
तब से लगातार सोच रहा हूँ
सोच रहा हूं फीस देकर
बुद्ध-महावीर हो जाऊं
या बेटे की ट्यूशन की
फीस चुकाकर
कर्जमुक्त हो जाऊँ…!!!

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल[email protected]