गीत/नवगीत

हार क्यों मानें

हारने से पहले, हार क्यों मानें
खुद को कमजोर, हम क्यों जानें
इच्छा बल से , बहुत कुछ संभव
आप चाहे मानें, या न मानें।
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

जब हारेंगे, तब देखा जाएगा
कल फिर जीत का, मौका आएगा
खुद पर विश्वास बस बनाए रखना
अभ्यास की ताकत, को पहचानें।
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

समस्याएं तो, सदैव ही बनी रहेंगी
इनसे ही भविष्य , की राह खुलेंगी
उम्मीद के दामन , को थामे रखिये
सफलता के मंत्र, को पहचानें।
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

हार का भी अपना, अलग मजा है
तजुर्बा अमूल्य है, न कि सजा है
जानने को बहुत कुछ, मिल जाता
इसको सफलता, की सीढ़ी जानें ।
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

आसानी से मंजिल, कहां मिलती
जी तोड़ मेहनत, करनी पड़ती
गिर कर संभलने,का नाम जिन्दगी
मौका मिला है ,खुद को धन्य मानें
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

कभी कभी हारना, भी आवश्यक
मिल जाते हैं, अनेकानेक सबक
सम्बन्धों में मिठास, बढ़ जाती है
हक़ीक़त है यह, असत्य न जानें।
हारने से पहले, हार क्यों मानें।।

ख़ुद को कमजोर, हम क्यों जानें
हारने से पहले, हार क्यों मानें ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई