कविता

दिल की बात

कभी कभी खुद ही को
सभी से जुदा पाता हूँ मैं
दुनिया की इस दौड़ में
दर्शक सा रह जाता हूँ मैं
सभी को वक़्त के साथ
बदलते देखा अक्सर मैंने
फिर अपने जज़्बात लिए
तन्हा सा हो जाता हूँ मैं
ख़ुद ही से क्यूँ हैं सब जुदा
गीत खुद ही के गाता हूँ मैं
किसने क्या कहा और सुना
बस…
दिल की बात सुन पाता हूँ मैं

— आशीष शर्मा ‘अमृत’

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान