प्रेम बंधन
तुमको प्रेम बंधन से है बाँधा
कैसे हमें छोड़ चले जाओगे
स्नेह की कच्ची धागा है जिसे
तोड़ कभी ना तुम पाओगे
लोहे की जंजीर कमजोर है
मजबूत प्रेम का ये बंधन है
जनम जनम के साथी हैं हम
जैसे पानी संग घिसा चंदन है
प्यार किया है हम एक दुजै को
मरते दम तक मोहब्बत निभायेगें
लाख दीवार खड़ी कर दे दुनियॉ
दीवार तोड़ हम गले लग जायेगें
ख्वाबों में जब जब आती हो तुम
पायल की रूनझुन हमें जगाती है
रात अंधेरी काली ये चादर भी
हमारी कदम ना रोक पाती है
कभी ना टुटे ये प्रेम का हमारा बंधन
आओ हम दोनों आज कसमें खायें
एक दुजै संग दफन हो जायेगें हम
प्यार जग में हमारा अमर हो। जाये
— उदय किशोर साह