राजनीति

लोकतंत्र के लिए घातक – मुस्लिम तुष्टिकरण

देश विकास, वरिष्ठता व श्रेष्ठता में आगे बढ़ रहा है पूरा विश्व भारत की प्रगति को देख रहा है । हम पिछले कई दशकों से अपनी ऊर्जा का बहुत कम उपयोग कर रहे थे परंतु नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सैनिक से लेकर वैज्ञानिक और डॉक्टर से लेकर व्यापारी सभी ने ऊर्जा का सही उपयोग करके भारत को एक उच्च स्थान पर पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन किया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र, सुरक्षा के क्षेत्र, चिकित्सा के क्षेत्र में भारत ने विश्व के कई विकसित देशों को भी पीछे छोड़ा है। जो मेट्रो ट्रेन कभी दिवास्वप्न प्रतीत होती थी भारत देश वंदे भारत एक्सप्रेस नाम से करीब 40 स्थानों पर ट्रेन की टेस्टिंग कर चुका है 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेन भारत की अत्याधुनिक सुविधाजनक ट्रेन है जिसे विश्व के कई देश आयात करने के लिए प्रतीक्षा में खड़े हैं।
परंतु देश के कई राजनीतिक दल आज भी भारत में भूतकाल की राजनीति लेकर भारत के कई राज्यों में शासन कर रहे हैं या करना चाहते हैं । मुस्लिम तुष्टिकरण इसका सबसे घातक षड्यंत्र है, जिससे देश की आत्मा आहत होती है, परन्तु सत्ता का लालच राजनीतिक दलों से नही छूटता और देश की जनता भी सब कुछ जानकर ऐसे तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक दलों को चुन लेती है।
विगत कुछ माह की घटनाओं को हम देखेंगे तो जानेंगे कि
पहली घटना :
तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचलन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है को लेकर करीब 6 माह तक द्वंद चलता रहा। जिला कोर्ट, हाई कोर्ट के बाद, सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद अप्रेल माह में संघ यहां संचलन निकाल पाया। तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सरकार है, एम के स्टालिन यहां के मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने संघ के संचालन पर प्रतिबंध लगाया विवश होकर संघ को जिला न्यायालय के बाद उच्च न्यायालय में अपील करनी पड़ी परंतु नकारात्मक निर्णयों के कारण उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट से जंगकुक तमिलनाडु में संचलन निकालने की अनुमति मिली तब जाकर 45 महानगर केंद्रों पर संजू का संचलन निकला जिसके लिए विगत 6 माह से संघ प्रयास कर रहा था यह प्रतिबंध केवल संघ के संचालन को रोकने के लिए नहीं लगाया गया बल्कि अपने मुस्लिम वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने लगाया था मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए चलने वाली दौड़ केरल कर्नाटक तमिलनाडु में भले ही अलग-अलग हो परंतु सभी राज्यों में सत्ताधारी राजनीतिक दलों की मानसिकता मुस्लिम तुष्टिकरण और उससे मुस्लिम वोट बैंक प्राप्त करने की मंशा रही है 13 14 प्रतिशत वोट बैंक को अपने साथ रखने के लिए 80% हिंदू समाज के वोट बैंक को हाशिए पर रखा जाता है क्योंकि राजनीतिक दल जानते हैं हिंदू समाज जाति मत भाषा तथा पार्टी में विभाजित होता है ।
दूसरी घटना :
कर्नाटक में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल को प्रतिबंध लगाने का आश्वासन दिया। बजरंग दल एक राष्ट्रवादी संगठन होने के साथ ही एक सामाजिक संगठन है, जिसके लाखों कार्यकर्ता सामाजिक सुधार के लिए, पौधरोपण, नदियों की सफाई, मन्दिर स्वच्छता, रक्तदान, धार्मिक कार्यक्रमों की सुरक्षा व व्यवस्था करने का काम करता है। इतना ही नही, कई राष्ट्रवादी विषयों पर बजरंग दल ने खुलकर जनता के साथ मैदान संभाला है। रामसेतु रक्षा का विषय हो, या बाबा अमरनाथ यात्रा में भूमि पर अवैधानिक कब्जे की मानसिकता उसके विरुद्ध जनता के साथ सत्ताधारी राजनीतिक दलों से टकराने के सामर्थ्य यदि किसी संगठन ने किया तो वह बजरंग दल है। इतना ही नही, भारत में जहां कहीं भी हिन्दू प्रताड़ित होता है, लव जिहाद में नाबालिक युवतियों को फंसाया जाता है, गौवंश की अवैध तस्करी की जाती है, जातिगत भेद भाव की घटना होती है, वहां बजरंग दल प्रत्यक्ष रूप से समाज हित में कार्य करता है। ऐसे संगठन की तुलना एक कट्टर आतंकी संगठन PFI से करना यह भी बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है, कांग्रेस राजनीति में इतना गिरेगा यह देश ने देखा नही था। परन्तु फिर भी जनता कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता सौंप देती है। कारण जो भी रहें हों, मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दलों को सत्ता देकर आप भारत की राष्ट्रीय छवि को समाप्त कर रहे है। साथ ही भारत में रहने वाले बहुसंख्यक हिन्दू समाज की भावनाओं का मजाक बना रहें हैं। मजहब के आधार पर मुसलमानों को अलग से आरक्षण देने का भी आश्वासन कांग्रेस ने दिया था। यह भी देश व संविधान के विरुद्ध है। परन्तु सत्यता यह भी है कि हिन्दू समाज जातियों, पार्टियों, भाषाओं में विभाजित है इसी कारण मुस्लिम तुष्टिकरण आंखों के सामने देखकर भी राजनीतिक दल जीत जाते है, लोकतंत्र के लिए भी ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है ।
तिसरी घटना : The kerala story नामक फ़िल्म जो देश में बढ़ते लव जिहाद के षड्यंत्र को प्रदर्शित करती है। उसका विरोध केरल सहित कई राज्यों में हुआ, जहां मुस्लिम संगठन ताकतवर है। प. बंगाल की ममता सरकार ने तो इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया। आम जनता व फ़िल्म निर्माताओं को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा तब जाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अब शायद कुछ शहरों में यह फ़िल्म चल सके। अभी तक तो हाल यह था कि इस फ़िल्म की पोस्ट सोशल मीडिया में करने पर पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। प बंगाल में पुलिस पूरी तरह से ममता सरकार के कब्जे में रही है। आम जनता से उसे कोई मतलब नही, पुलिस ममता सरकार की प्रायवेट एजेंसी की तरह काम कर रही है। पिछले कुछ राजनीतिक हिंसा के मामले देखें तो यह ज्ञात होगा कि बिना राजनीतिक अनुमति के तृणमूल के किसी कार्यकर्ता पर FIR करने की किसी की हिम्मत नही , चाहे आम जनता का घर जला हो, या हिंसा में उसे गंभीर चोट आई हो। राजस्थान के जोधपुर में केरल स्टोरी का फोटो पोस्ट करने पर एक युवक को सर तन से जुदा करने की धमकी दी जाती हैं । मुस्लिम कट्टरपंथीयों को समर्थन देने में राजनीतिक दल लोकतंत्र की हत्या करते जा रहे है। इनके तुष्टिकरण से जनता अब परेशान हो चुकी है।
भारत की जनता को चाहिए कि मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों को सत्ता से विहीन करके सबक सिखाये। क्योंकि यदि मुस्लिम तुष्टिकरण को बल मिलता है तो आने वाले समय में भारत को कई दुर्घटनाएं देखनी पड़ सकती है, मुस्लिम तुष्टिकरण का अंत देश का विभाजन ही है, इस्लामिक कट्टरता को पोषित करने वाले विचार देशहित में नही हो सकते, भारत के बहुसंख्यक समाज को मजहब आधारित विभाजन की विभीषिका को स्मरण रखना चाहिए। आज भारत में छोटी छोटी बातों पर होने वाली हिंसा में मुस्लिम कट्टरपंथ की प्रकार विष वमन करता है यह देश जानता है, जनता को चाहिए कि मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का अंत करे, यही देशहित में आवश्यक है।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश