कविता

इक-दूजे के हो जाएं

दिल,
मेरे दिल,
कितने खूबसूरत हो तुम!
दिखते छोटे-से हो,
पर समाया है तुम में,
गगन विशाल,
तारों का थाल,
धरती-सा धैर्य,
सागर-सी गहराई!
फूलों-से कोमल भी हो,
पत्थर-से कठोर भी,
रबर जैसे लचीले भी हो,
पर्वत-से अटल भी!
अफसानों के समंदर हो,
कभी मजनू हो,
कभी सिकंदर हो!
चलो आज मिलके बैठें,
दिल खोलकर बातें करें,
मन की गांठें खोलें,
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोलें,
झूमें-नाचें-गाएं,
इक-दूजे में खो जाएं,
इक-दूजे के हो जाएं,

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244