इतिहास

मां भारती की सच्ची सेविका : डॉ. अहिल्या मिश्र

मैं बहुत ही खुशकिस्मत हूं कि मुझे देश की प्रतिष्ठित लेखिका का स्नेह, मार्गदर्शन, सहयोग, आशीर्वाद प्राप्त हुआ है । मैं बात कर रहा हूं अदम्य लेखन की धनी डॉ. अहिल्या मिश्र जी की । डॉ. अहिल्या मिश्र जी अपने जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर शतायु होने की दिशा में अग्रसर हैं । इसी उपलक्ष्य में उन पर केंद्रित एक अभिनंदन स्मारिका का प्रकाशन किया जा रहा है । यह बड़े ही गौरव की बात है ।
मैं डॉ. अहिल्या मिश्र जी से बहुत समय पहले से जुड़ा हूं, अक्सर उनसे पत्रव्यवहार होता रहता है । उनकी पत्रिका – पुष्पक साहित्यिकी में प्रकाशित होने का सौभाग्य मिलता ही रहता है । उनकी अधिकांश कृतियां पुस्तकालय में हैं । अभी हाल ही में उनका एक बड़ा सा पार्सल पुस्तकालय को प्राप्त हुआ । जिसमें उनकी तमाम पुस्तकें थीं  । डॉ. अहिल्या मिश्र जी एक वरिष्ठ साहित्यकार होने के साथ-साथ एक समाजसेवी भी हैं । इनका व्यक्तित्व व कृतित्व बहुत ही महान व प्रेरणादाई है । हिंदी भाषा की सेवा में निरंतर इनकी साधना चलती रहती है । जैसे ही मुझे व्हाट्सएप पर उनके द्वारा भेजी गई सूचना प्राप्त हुई, मेरी कलम चल पड़ी ।
 बिहार की धरती पर जन्मी और दक्षिण भारत में रहकर हिंदी सेवा को प्रमुखता से कर रही हैं । डॉ. अहिल्या मिश्र जी एक शिक्षिका भी रह चुकी हैं । उन्होंने शिक्षा की तेजस्वी ज्योति से न जाने कितने छात्रों का जीवन जगमग किया है । समृद्ध लेखन की धनी डॉ. अहिल्या मिश्र जी को देशभर से तमाम प्रतिष्ठित सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।
डॉ. अहिल्या मिश्र का रचना संसार कहानी, कविता, निबंध, लेख, शोध आलेख, संपादन आदि विधाओं से बहुत ही समृद्धसाली है ।
उनकी कविताएं सीधे हृदय तल तक अपनी पहुंच बना लेती हैं-
1- बंजर का अर्तनाद
‘हवाओं की सनसनाहट
ने चिथडों को भी
उड़ा कर शांत कर लिया
और सर्द ठिठुरन
जीने को अकेले उसे
छोड़ दिया ।’
 2- पथिका
‘चल उठ पथिका ! तुझे जाना दूर है ।
इस क्षण ही थककर होता क्यों गए चूर है ?
मग में अगर आये विजन
क्षण भर भी न सोच कि उतारूं थकन
चाहे बलखाती नदियां बांधे या
बांधने आये नीर की थिरकन
ठान ले यह बात मन में
चलते हुए ही धो लूं तपन
जीवन की दुविधा में वितृष्णा का राज है
चल उठ पथिका ! तुझे जाना दूर है ।’
 डॉ. अहिल्या मिश्र जी ने स्त्री सशक्तिकरण पर भी अपनी लेखनी खूब चलाई है ।
मिथिलांचल क्षेत्र के सागरपुर गांव, मधुबनी- बिहार में स्वर्गीय रमानंद मिश्र के घर में जन्मी डॉ. अहिल्या मिश्र जी ने कई देशों का भ्रमण किया है व वर्तमान में स्थाई रूप से हैदराबाद में अपने पति श्री राजदेव मिश्र व परिवार के साथ रह रही हैं । डॉ. अहिल्या मिश्र जी मैथिली, वज्जिका, हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, तेलुगु भाषा बोल, पढ़,लिख व समझ सकती हैं । यह बड़े ही गर्व का विषय है ।
 पारिवारिक जिम्मेदारियों व दायित्वों को निभा कर इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है । इनकी सेवाओं को राष्ट्र कभी भुला नहीं पायेगा । डॉ. अहिल्या मिश्र जी ने अपनी लेखनी से मां भारती का भंडार भरा है व अभी भी निरंतर मां भारती की सेवा कर रही हैं ।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे हमेशा स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और निरंतर साहित्य साधना में व्यस्त रहें ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111