गीत/नवगीत

गौरवगान मेरे देश का

जब भी सुनना चाहोगे विन्यास मेरे देश का,
कण-कण बोल उठेगा तब इतिहास मेरे देश का,
बहती नदियां और सुंदरवन लिखे मिल जायेंगे,
जब भी देखना चाहोगे उल्लास मेरे देश का।
इतिहासों में मूछों के ताव लिखे मिल जायेंगे,
चाणक्य की राजनीति के दांव लिखे मिल जायेंगे,
आजादी की रक्षा में अलगाव लिखे मिल जायेंगे,
स्वाभिमान की खातिर अस्सी घाव लिखे मिल जायेंगे।।
देखना चाहोगे यदि जवानी मेरे देश की,
महिषासुर मर्दन करे भवानी मेरे देश की,
सांसों से जूझती रवानी मेरे देश की,
झांसी वाली जगदंभा, वो बलिदानी मेरे देश की।
देखना चाहते हो यदि परिवेश मेरे देश का,
गांवों में जाकर देख लो किसान मेरे देश का,
काव्य रस सुनकर कहे इंसान मेरे देश का,
रग रग में बहता रहे,बलिदान मेरे देश का।।
चाहता हूं की कोई राणा इस माटी को पुकार दे,
दुश्मन से बेहद बैर करे,और बच्चो को दुलार दे,
केसरिया पगड़ी पहने कोई भगत सिंह मतवाला,
देश प्रेम की रक्षा में मर जाना है जिसने ठाना।
करोड़ों की भीड़ में कोई तो वीर महान जगे,
निज स्वार्थ को छोड़कर भारत का गौरवगान जगे,
फिर भी कुछ जगा नही तो वीरों का बखान जगे,
बलिदानों में पला बढ़ा अपना हिंदुस्तान जगे।।
— नितिन कुमार शर्मा 

नितिन कुमार शर्मा

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