गीत/नवगीत

याद बहुत आता हैं

याद बहुत आता है
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माँ-बाबुल बचपन घर- आंगन कितना तरसाता है |
मुझको वह बचपन का आँगन याद बहुत आता है |
1-
बचपन बीता खेल कूद कर जिस आँगन में मेरा,
यादों में वह बसा हुआ है परछाई सा मेरा,
घने वृक्ष की सुखद छाँव मन भूल नहीं पाता है|
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
2-
इमली की शीतल छाया में सिकड़ी खेल सुहाना |
ऊंच नीच और छुपन छुपाई उछल कूद कर गाना |
रंग रंगीला सा वह बचपन तन- मन रंग जाता
है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
3-
आंगन में चहकें गौरैया उनके संग फुदकना |
रंग रंगीली प्यारी-प्यारी तितली खूब पकड़ना |
कोयल के संग खूब कुहूकना मन को सरसाता है |
मुझको वह बचपन का आँगन बहुत आता है |
4-
गिलहरी की चिड़क चिड़क गइया का रँभा बुलाना |
सावन में डालों पर झूले पेंग बढ़ा मुस्काना |
गिल्ली -डंडा लट्टू-लत्ती अब भी मन भाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
5-
गोधूलि में भर भर पानी आंगन द्वार छिड़कना |
माटी की सोंधी खुशबू से आंगन द्वार महकना,
मस्त हवाओं का हर झोंका मन को महकाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
6-
लेट चारपाई पर सुंदर आसमान को तकना |
झुंड परिंदों के अनुशासित वापस घर तक उड़ना |
उनकी चहकन और चहकना मन को चहकाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
7-
लूडो, कैरम, कोट पीस दुपहर में छम्मा छम्मा |
हम बच्चों के साथ खेलती मेरी प्यारी अम्मा |
कुल्फी और फालूदा का दिन है रह-रह ललचाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है
8-
संध्या दीप आरती का स्वर नई चेतना जगना,
बस्ता बैग उठाकर अपना कुछ देरी फिर पढ़ना |
संध्या पूजन अर्चन का संगीत याद आता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
9
कुल्फी और फालूदा खाना, गर्मी में था भाता |
मां तेरी वह दूध जलेबी से अब भी है नाता |
लाड़ – लड़ाना डाट -डपटना कितना तरसाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
10
जुगनू की वो न्यारी चमचम अब न कहीं है दिखती,
कहां गए वह जुगनू प्यारे किसकी है यह गलती,
बंद दुपट्टे में जुगनू जब उजियारा लाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
11
काश लौट आता वह बचपन पल भर प्यारा न्यारा,
मौसम सुखद सलोना मोहक जिससे जग उजियारा ,
सतरंगी सपनों की दुनियाँ से अपना नाता है |
मुझको वह बचपन का आंगन याद बहुत आता है |
©®मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016