कविता
मेरा भारत देश है बलवान और महान
धरती माँ की रक्षा में लाखों वीर जवान
रंग रूप,भेष भूषा की भले हो विविधता
पर इस विविधता में भी हैअपनी एकता
दुश्मन भी थर्रा उठता है जब हमने आंख दिखाई,
भारत माँ के जांबाजो से दुश्मन ने मुंह की खाई।
आर्यभट ने शुन्य बताकर सबको गिनती सिखलाई,
शिक्षा और तकनीकी ने भारत को विश्व गुरु बनाई।
भारत माँ की रक्षा में हमारा हिमालय दुर्ग है,
भारत माँ की मस्तक कश्मीर हमारा स्वर्ग है।
गंगा जमुना की नदियाँ यहाँ बहती हैं,
जो तन मन को शुद्ध कर धरती को अमृत देती हैं।
— मृदुल शरण