गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सनमके दिल में उठती हैअजब सी पीरसावन में।

विरह का जोर से लगता  सदा ही तीर  सावन में।

कहानी  प्यार  की  करनी  हमें तहरीर  सावन में।

घटाओं  संग  करनी  खूब  है  तकरीर  सावन में।

सभी सूखे  दरख्तों ने   रिदा  ओढ़ी  है सब्ज़े की,

फज़ा की हो गयीदिलकश बड़ीतस्वीर सावन में।

नज़र कीहद तलकबिखरा फ़क़तपानी हीपानीहै,

समस्या हो गयी अब है  बड़ी  गम्भीर  सावन में।

जहाँ  देखो  वहाँ  बादल  जहाँ देखो  वहाँ पानी,

जहां  सारा  लगे  बूँदों  की यूँ जागीर  सावन में।

— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415