कथा साहित्यलघुकथा

मॉडर्न किसान (लघुकथा)

मॉडर्न किसान

“होरी भैया, मुझे लगता है कि इस बार भी हमें इंद्रदेव का प्रकोप झेलना पड़ेगा।” भोला ऊपर आसमान की ओर देखते हुए चिंतित स्वर में बोला।

“हां भोला भाई, आसार तो ऐसे ही लग रहे हैं। कभी-कभी आसमान में बादल के टुकड़े दिखाई दे जाते हैं, पर इधर बारिश होती नहीं। शायद आसपास के किसी क्षेत्र में होती हो।” होरी ने सहमति जताई।

“होरी भैय्या, हमें पंडित दातादीन महाराज की बात मान ही लेनी चाहिए। पंडित जी कल बोल रहे थे कि वे एक धार्मिक अनुष्ठान करके इंद्रदेव का प्रकोप शांत कर हमें संभावित अकाल से बचा सकते हैं।” भोला बोला।

“भोला भाई, सचमुच तुम बहुत ही भोले-भाले हो। क्या दातादीन के पाखंड से तुम अनभिज्ञ हो ? इस संभावित अकाल से खुद बचने और भावी पीढ़ी को बचाने का काम हम ही कर सकते हैं। कोई भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान करके हम इससे नहीं बच सकते।” होरी ने समझाते हुए कहा।

“क्या… हम ही कर सकते हैं… ? आज आप कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो भैया ? आपकी तबियत तो ठीक है न, कि सुबह-सुबह चढ़ा लिए हो ?” भोला आश्चर्य से पूछा।

“भोला भाई, मेरी तबियत एकदम दुरुस्त है और तुम्हें तो अच्छे-से पता है कि मैं कभी शराब पीता नहीं हूं।” होरी ने नाराजगी भरे स्वर में कहा।

“माफ़ करना भैया। पर आपकी बातें मेरे सिर से ऊपर जा रही थीं, सो… भैया, आप बोल रहे थे कि इसका समाधान हम खुद ही कर सकते हैं, तो करते क्यों नहीं ? क्या उसके लिए हमें कोई मुहुर्त…?”

“देखो भोला, हम इक्कीसवीं सदी के मॉडर्न किसान हैं। अब हमें अपनी पुरानी और दकियानूसी सोच को बदलना होगा। तुम्हें याद होगा कि पिछले कुछ वर्षों से कई बार पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारियों ने हमें समझाया कि पेड़ लगाओ, पर्यावरण संरक्षण करो। पर हमने हर बार उनकी बातों को अनसूनी की। नतीजा सामने है।” भोला की बात बीच में ही काटते हुए होरी बोला।

“हां भैया, आप एकदम सही बोल रहे हो। उन्होंने तो यह भी कहा था कि सरकार हमें अनेक प्रकार के फलदार और औषधीय पौधे लगाने के लिए फ्री में भी देगी।” भोला ने कहा।

“वही तो।‌ भोला भाई, अभी भी ज्यादा देर नहीं हुई है। जब जागे, तभी सबेरा। हम लोग आज ही पंचायत में विचार करते हैं और गांव के सब लोगों को वृक्षारोपण और उसके संरक्षण-संवर्धन करने के लिए काम शुरू करते हैं।” होरी ने सुझाया।

“बिल्कुल भैया। आप हमारे गांव के सबसे समझदार किसान ही नहीं, बल्कि सरपंच भी हैं। सब लोग आपका बहुत सम्मान भी करते हैं। इसीलिए मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी इस बात को सभी मानेंगे भी। वैसे भी यह मामला हमसे ही नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी से भी जुड़ा हुआ है।” भोला बोला।

“तो ठीक है भोला भाई। शाम को मिलते हैं चौपाल में। मैं कोटवार को मुनादी करने के लिए बोल देता हूं कि गांव के सभी लोग शाम को पंचायत भवन में इकट्ठे हों।” होरी ने कहा।

कुछ ही देर बाद गांव में कोटवार की गूंजने लगी, “सुनो, सुनो, सुनो… आज शाम को सब लोग…।

– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888