कविता

सावन वाली फुहारें 

सावन की फुहारें यादों को, 

बोझिल हो सपनों में सताये।

टिप टिप बरखा की बुन्दें भी, 

दिल में हलचल खुब मचाये।

गुजर रही जो अब जिन्दगी, 

मीठी मीठी  फिर  हो आए।

देखूं चारों ओर में छुप छुप, 

प्यारी सी, मूरत   दिख जाए।

ऐ सावन वाली फुहारें  तुम,

उनको मेरी  याद  दिलाओ।

कहना  भीगें तेरी  यादों में,

आ कर उनको गले लगाओ।

— शिवनन्दन सिंह 

शिवनन्दन सिंह

साधुडेरा बिरसानगर जमशेदपुर झारख्णड। मो- 9279389968