लघुकथा

मंहगाई

पापा-आज बेटे तुमने जो सब्जी कि सूची बनाईं है ना वो देना देखूं तो क्या क्या लाना है।और तुम कुछ भूले तो नहीं।एक बार जांच लेता हूं

राजीव-ठीक है पापा लेकर आता हूं पापा सूची देखने लगें।

पापा-ये टमाटर एक किलो क्यो लिखें है।पता नहीं ये दौ सौ रूपए किलों है। मुझे पता है ।पर मां ने लिखवाएं है ‌। मैंने तो कहा था मां बहुत महंगे हैं। मां बोली तो क्या खाना खाना छोड़ दें क्या।

उस दिन टमाटर का नाम देखकर पापा उदास हो गये।और मैं ने देखा कि पिता जी चेहरा उतर गया।और मैं भी सोचने लगा।कि मंहगाई में सचमुच कितना मुश्किल है टमाटर खाना

— अभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश