वज़ूद
आदमी मर जाता है
शारीरिक रूप से
भले मिट जाता है
उसका वज़ूद बना रहता है
स्मृति रूप में
वह याद किया जाता है
अपनी वाणी के कारण
किए गए कार्यों से
व्यवहार की वज़ह से
इसलिए बिसरता नहीं
यदा कदा
नज़ए आ ही जाता है उसका वज़ूद
आदमी मर जाता है
शारीरिक रूप से
भले मिट जाता है
उसका वज़ूद बना रहता है
स्मृति रूप में
वह याद किया जाता है
अपनी वाणी के कारण
किए गए कार्यों से
व्यवहार की वज़ह से
इसलिए बिसरता नहीं
यदा कदा
नज़ए आ ही जाता है उसका वज़ूद