गीतिका/ग़ज़ल

मुलाकात चाँद से

कुबूल दुआ हुई कि, हुई मुलाकात चाँद से, 

तिरंगे ने लहरा सुनाई, मुलाकात चाँद से ।

कि जन्नत‐सा, गुलज़ार हुआ मेरा वतन,

जब इसरो के लेंडर ने, कराई बात चाँद से।

.तिरंगे बेशुमार जिन पर चाँद झलकता है, 

असल गुफ़्तगू भारत ने कराई रात चाँद से।

 प्रज्ञान नूर से हुआ, तअज्जुब ये सारा जहां,

कहा मुफ़लिस जिसे उससे खाई लात चाँद से।

 जिगरे तवंगर हिंद का, ज़ज्बा भी है यूँ ऊँचा,

कहे मिलन नापाक मंसूबो ने खाई मात चाँद से।

— भावना ‘मिलन’

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।