पर्यावरण

रेन वाटर हार्वेस्टिंग

“विनीत!आज का अखबार पढ़ा?”
“ऐसा क्या विशेष है,तू ही बता दे।तू तो पूरा अखबार चाटता है।”
“पता है विनीत! बड़ी अच्छी खबर है।”
“अब बता भी दे।पहेलियाँ क्यों बुझा रहा है?”
“समाचार पत्र में यह समाचार पढ़ा कि एनडीएमसी बड़ा निर्णय लेते हुए अब सरकारी और निजी भवनों में मॉड्यूलर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य करने जा रही है। इसे अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए एनडीएमसी अपनी बिल्डिंग बाइलॉज में संशोधन भी कर रही है। आने वाले दिनों में मॉड्यूलर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्लान ना होने पर एनडीएमसी क्षेत्र में नए कंस्ट्रक्शन के लिए बिल्डिंग का नक्शा पास नहीं किया जाएगा।”
“कारण?”
“एनडीएमसी की भूजल बचाने की मुहिम के तहत यह संशोधन किया जा रहा है। एनडीएमसी अपने क्षेत्र में आने वाले पुराने भवनों में भी मॉड्यूलर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएगी। इसके लिए एनडीएमसी आरडब्ल्यूए की मदद से और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाएगी क्योंकि भू जल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है, जो बेहद चिंता की बात है। इससे पीने के पानी की कमी उत्पन्न हो सकती है। स्तर गिरने से जमीन की भीतरी परत, जहाँ पानी इकट्ठा होता है, वह सिकुड़ रही है और जमीन के बैठने का भी खतरा है। जमीन बैठने से ऊँची इमारतों को भी खतरा है। इसे रोकने के लिए मॉड्यूलर रेनवाटर हार्वेस्टिंग पिट्स का इस्तेमाल हो रहा है ताकि बरसात के पानी को इमारत के नीचे संचित कर जमीन के सिकुड़ने को रोका जा सके।”
“प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि पारंपरिक की जगह मॉड्यूलर पिट्स क्यों?”
“बारिश के पानी को ग्राउंडवाटर रिचार्ज करने के लिए पारंपरिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की तुलना में मॉड्यूलर पिट्स आसान, सस्ता और सफल है। इस सिस्टम के निर्माण में छोटे पत्थर, बालू और अन्य चीजों का इस्तेमाल होता है, लेकिन मॉड्यूलर सिस्टम के निर्माण में पॉलीमर बेस्ड कुछ ब्लॉक का ही इस्तेमाल होता है। इन पिट्स में तीन चेंबर होते हैं जो पानी को अलग-अलग लेवल पर फिल्टर करके जमीन के अंदर भेजते हैं। एनडीएमसी क्षेत्र में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग के जरिए लगभग 22 अरब लीटर पानी संचित किया जा रहा है।”
“अब यह बात कितनी सत्य है, यह तो समय बताएगा। या हो सकता है कि यह खबर भी केवल अखबारों की सुर्खियाँ बनकर ही रह जाए और सारी योजना कागजों में बने और कागजों में ही खत्म हो जाए।” “बात तो सोचने वाली है लेकिन अब यह मुश्किल है। क्योंकि सोशल मीडिया का जमाना आ गया है। हर हाथ में मोबाइल है। हर आदमी सोशल प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज उठाने के लिए स्वतंत्र है जो ऐसे लोगों को आईना भी दिखा सकते हैं और सही काम करवाने के लिए बाध्य भी कर सकते हैं। अब जनता भी काफी जागरूक हो गई है। हालांकि यह भी इतना ही सत्य है कि आजकल हर व्यक्ति रोजी-रोटी कमाने में इतना व्यस्त है कि उसको नौकरी से ही फुर्सत नहीं मिलती। फिर भी कुछ जुनूनी लोग हैं जो अभी भी देश के बारे में सोचते हैं और चाहते हैं कि हर व्यक्ति को पानी मुहैया हो।”
“ठीक कह रहा है तू।कहीं पर बरसात के कारण बाढ़ से जन-धन की इतनी हानि होती है तो कहीं कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखे के कारण फसल बर्बाद हो जाती है। दोनों स्थितियों से निपटने के लिए पहले से ही उचित उपाय किए जाएँ तो जान माल का नुकसान होने से बचा जा सकता है।”
— राधा गोयल

राधा गोयल

एफ-420, विकास पुरी, नई दिल्ली-110018