कविता

दिल के अरमान

यूं तो हमने अपने दिल में बड़े अरमान सजा रखें हैकुछ सहज सरल तो कुछ हमें ही मुंह चिढ़ा रहे हैं,पर दिल को बड़ा सूकून दे रहे हैं,माना कि हमारे हर अरमान सिर्फ हमारे लिए ही हैंपर विश्वास कीजिए कुछ आम आदमीसर्व समाज, राष्ट्र और विश्व कल्याण के लिए भी है।अपने लिए न कोई सपना हैबस मेरे दिल का अरमान इतना हैकि धरती का हर प्राणी खुशहाल होकोई एक भी भूखा न सोएहर किसी के सिर पर छत हो।सबको स्वास्थ्य, शिक्षा भरपूर होमूलभूत सुविधाएं पूरी होशांति सौहार्द भाईचारा का परचम होभ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार आतंकवाद धार्मिक उन्माद, विभेद न हो,लूटपाट, दंगा फसाद न हो।हर चेहरे पर खुशियां और सुकून का भाव होआपसी सामंजस्य, खुशहाली होखुशियों का संसार होसबके दिलों में सभी के लिए प्यार, भाईचारा है।कोई बच्चा अनाथ न होइस धरती पर कोई वृद्धाश्रम, अनाथालय न होकाश! ऐसा ही अरमान तुम्हारा भी होतो दुनिया में रामराज्य हो जायेगा।ईमानदारी से कहता हूंमेरे दिल का बस यही अरमान सारा हैजिसे मैंने ईमानदारी से दिल में उतारा है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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