पुस्तक समीक्षा

पर्वोत्कर्ष  : काव्य संग्रह मील का पत्थर 

शब्दों से श्रृंगार भावों की धारा ” पर्वोत्कर्ष  :”में रचनाकार की 102 रचनाओं का समावेश कर लेखिका सपना सी पी  साहू “स्वप्निल ” ने इसे  रचनाकारों के  लिए विभिन्न विषयों में काव्य रच कर साहित्य  जगत को दिये जाने वाला विलक्षण सम्मान का प्रतीक बताया है साहित्य अकादमी ,मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद ,संस्कृति विभाग भोपाल के सहयोग से प्रकाशित  की यह सम्मानीय पहल निसंदेह प्रशंसनीय है । इसी तारतम्य में भूमिका में  सुषमा यदुवंशी ने यह बात ठीक कही -पाश्चात्य संस्कृति में लिप्त होने पर हम हमारे तीज त्योहारों से दूर होते रहे है | जैसा की शीर्षक से ही पता चल रहा है कि पर्व हमें कितने उत्कर्ष पर ले जाते है | पर्व बिना हमारा जीवन अधूरा है | 

“जब किसी किताब का संस्करण महिला रचनाकार ने  रचा  हो तो उसका तो कहना ही क्या ? क्योंकि नारी तो शब्द भाव और अर्थ की त्रिवेणी है । उसके द्धारा रचे काव्य भाव -विचार की परम्परा एवं संस्कृति झरने सी लगती है । 

तीज त्योहारों संग प्रकृति के विभिन्न रंगों को  अपनी रचना में बखूबी से शब्द भाव को ढाला है -” भानु घन ओट से निखरा,इंद्रधनुषों बाण बिखरा ,हरितमा श्रृंगारित  हो धरा मन शिवमय भाव से धरा “

” उपकार अनगिनत शहीदों के पर,लहू का कतरा -कतरा बहाया है ,तब कही जाकर ,तुमने और हमने,स्वतंत्र हवाओं में उर स्पंदन पाया है “हौसला अफजाई की बात कही वही पहचान बनाने हेतु एक साहस भी काव्य रचना  के माध्यम से दिया है । बसंत स्वर्णहार  में” बसंत पहने स्वर्णहार, सुख बरसे द्धार द्धार /चहुँओर नव बहार,मधुमास लाए  नवकार “द्धारा  बसंत ऋतु  की कशिश एक अंतर्मन को तलाशता मर्म भाव काव्य रचना से ऋतुराज को स्वर्ण हार पहनाया है । 

हरतालिका व्रत में -“अति घोर तपस्या की थी माँ पार्वती ने ,तब महादेव को पाया महाशक्ति ने ”  नारी के संघर्ष की व्यथा को बताती जिंदगी की मंजिल वाकई कठिन होती है जो की वर्तमान के सच को बयां करती है । अनुभूतियों और  दर्द  को पेश किया है, जो क़ाबिले तारीफ़ है तीज त्यौहार गणगौर -” गणगौर का आया प्रेम पूरित त्यौहार,कन्याएँ ,नारियाँ सज धज हुई तैयार “काव्य के इस सौंदर्य -बोध को परखने के लिए पुनीत  ह्रदय की आवश्यकता है । 

रावण कह रहा -” कलयुग में शोर भरी आवाजें तो बहुत है ,जो गरजे, वो बरसे नहीं ये बात कुछ और है “जिंदगी का यह रूप जिंदगी के विभिन्न पहलुओं का दर्शन कराता है व् जिंदगी में एक नए रंग भी भरता है ।  

मकर संक्रांति -” नवऊर्जा आभास चहुँओर ,बड़े हुए दिनमान के छोर ,मंदिर घंटी गुंजित हरओर ,उत्तरायण से सुहानी भोर “प्रकृति  की सुंदरता में पर्व के  के रंग भरती  कविता में उमंग  की छवि स्पष्ट रूप से देखी  जा सकती है । कविता का यह सुन्दर रूप  सूर्य सा प्रतिबिम्बित हुआ है। 

वट  सावित्री व्रत- दृढ़विश्वासी,विवेकी भारतीय नारी, सावित्री कथा अद्भुत  व् न्यारी, धर्म परायण आर्य सुकन्या प्यारी, अनुसरण जिसका करें हर नारी “नारी सशक्तिकरण का सजीव चित्रण करती काव्य रचना  सृजनात्मक सोच की एक कशिश पैदा कर सच करने की अदम्य क्षमता रखती । कवित्री ,शायरी में के क्षेत्र में अपनी शसक्त पहचान बनाने वाली और मंच पर ,टीवी ,आकाशवाणी की सक्रिय भूमिका निभाने वाली लेखिका सपना सी पी  साहू “स्वप्निल “रचनाकार से सभी  भली-भान्ति परिचित है। नारी शक्ति 

स्त्री ही तो निडरता  का साक्षात् रूप होती है। बस साहस की बुलंदियों पर होंसलों  का मकसद बरक़रार रखना होगा ताकि सही मायने में सम्मान की अधिकारी बन सके । महिला सशक्तिकरण और भी मजबूत बने इस हेतु महिलाओं की सक्रियता की भूमिका होना चाहिए ताकि समाधान  एवं मुश्किलों का सामना करने हेतु वे हर कठिनाइयों का सामना निडर होकर कर सके साथ ही अपने हक़ की परिभाषा को सही मायने में पा सके । हायकू श्रीराम  में -“उपकारक/दशानन परास्त /अधर्म अस्त “शब्द और अर्थ के मायने के  उदाहरणों से हायकू रचना को  समझने की क्षमता की और इशारा किया वही बिना अर्थ वाले शब्दों को परे किया। पर्वोत्कर्ष  : काव्य संग्रहविचार  चेतना और संवेदना को जागृत करने की क्षमता रखता  है । विभिन्न विषयों को काव्य का माध्यम  बनाकर सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदान की है ।वही अधिकतर काव्य रचनाओं में नारी की महत्ता द्धारा नारी  सेवा त्याग,ममता की मिठास ,रिश्तोंकी धुरी ,मोम की गुड़िया ,देवियां ,मधुरतम राग ,आदि नारी में कई गुणों को पहचाना है जो सर्वत्र  प्राचीन समय से ही पूजनीय रही बस सदा सब के मन में नारी के प्रति सम्मान के भाव सदैव जाग्रत रहे। अधिकतर काव्य रचनाएँ नारी के पक्ष में बेहतर कविता रची । 

 सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना में रची बसी विकृतियों, समस्याओं और जटिलताओं में  स्त्री विमर्श के विभिन्न पहलुओं को पहचान वही नारी सशक्तिकरण की और उनके हक़ की परिभाषा की विभिन्न रचनाओं के जरिये पहचान कराई ।  पर्वोत्कर्ष  काव्य संकलन में ऐसी कई एक से बढ़कर एक रचना समाहित है । लेखिका  इस दिशा में भी सक्रिय है उनका मानना है कि ” महिला सशक्तिकरण और भी मजबूत बने इस हेतु महिलाओं की सक्रियता की भूमिका होना चाहिए ताकि समाधान की रोशनी फैलाने की आवश्यकता एवं मुश्किलों का सामना करने हेतु वे हर कठिनाइयों का सामना निडर होकर कर सके साथ ही अपने हक़ की परिभाषा को सही मायने में पा सके “।  ने सा हित्य के क्षेत्र में ये कर दिखाया है। उनके सम्मान का परचम सदा लहराता रहे एवं उन्हें सम्मान मिलते रहे यही हमारी कामना है । सपना सी पी  साहू “स्वप्निल “पर्वोत्कर्ष  : काव्य संग्रह  १००% दिलों में जगह बनाएगा इसमें कोई शक नहीं है। हमारी यही शुभकामनाएं है ।निसंदेह सफलता की ओर अग्रसर होगा यही शुभकामनाएं है । 

समीक्षक — संजय वर्मा “दृष्टि”        

पर्वोत्कर्ष  : काव्य संग्रह  

प्रकाशक – श्री विनायक प्रकाशन इंदौर 

लेखिका  -सपना सी पी  साहू “स्वप्निल “

मूल्य – 299 /-

संपर्क ए -133 ,विद्या पैलेस  कॉलोनी 

श्री पद्मावती   वेंकटेश देवस्थान के पास इंदौर 452005                                        

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच