कविता

क्या लिखूं

क्या लिखूं, किसके लिए लिखूं ,

कौन देखना चाहता है

       कौन देख कर संज्ञान लेना चाहता हैं

कौन पढ़ना चाहता है

       कौन पढ़ कर समझना चाहता हैं

कौन समझता है

       कौन समझ कर समझाना चाहता है

सभी पढ़ रहे है, समझ रहें है, देख रहे हैं

सभी को पढ़ लिखा होने का, समझदार होने का इल्म है

सभी को देश की चिंता है, परेशान है

       परन्तु अपने लिए लगे है, चिंतित है

सभी अपने को देशभक्त कहते है

        परन्तु किसी को देशभक्त कहने पर परहेज है

सभी को स्वछता चाहिए

        परन्तु स्वछता रखने पर परहेज है

सभी को साक्षरता चाहिए

        परन्तु साक्षर होने पर परहेज है

सभी का सभी कार्य समय पर होते रहना चाहिए

        परन्तु किसी कार्य को करने पर परहेज है

सभी को नियमो का पालन हो अच्छा लगता है

        परन्तु नियमो का उलंघन करने पर परहेज़ नहीं है

सोचता हू, क्या लिखूं, किसके लिए लिखूं

        कौन पढ़ता है,कौन देखता है, कौन समझता है

— अनूप कुमार श्रीवास्तव

अनूप कुमार श्रीवास्तव

39 वर्षों की सेवा के बाद इलाहाबाद बैंक से मुख्य प्रबंधक के रूप में अवकाशप्राप्त। लखनऊ में निवास कर रहे हैं। मो.- 8795831256 ईमेल- anoopkumar1256@yahoo.com