कविता

तू देश हित वोट कर 

समय निकल रहा है,

नहीं आएगा लौटकर,

तू देश हित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

यदि लालच में आकर देगा वोट, 

नहीं होगा देश का विकास, 

यह बात अपने जेहन में नोट कर,

तू देश हित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

जाति धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर,

बिना किसी भय के,

तू देश हित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

लोकतंत्र का यह पावन पर्व,

सब बनाएंगे मिलकर,

चित्र नहीं चरित्र देखकर, 

तू देश हित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

व्यक्तिगत हित को त्याग कर,

सही व्यक्ति का चुनाव कर,

तू देशहित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

आज लेते हैं हम शपथ,

वोट के बदले नहीं लेंगे कोई नोट,

तू देश हित वोट कर,

तू देश हित वोट कर।

— श्याम सुंदर साहू 

श्याम सुन्दर साहू

राजिम गरियाबंद (छ. ग.)