ग़ज़ल
गर जमाने के कहे में आओगे ।।
दूर मञ्जिल से बहुत हो जाओगे ।।
पहली ठोकर ही बना लो आखिरी,,,
वरना फिर ताउम्र ठोकर खाओगे।।
ये दुहाई दी है किस सम्बन्ध की,,
और अब कितना मुझे भरमाओगे ।।
चल पड़े हो तुम वफ़ा की राह पर,,,
देख लेना खुद को तनहा पाओगे ।।
है मुझे अपनी मुहब्बत पर यकीं,,,
जा रहे हो, लौट कर फिर आओगे ।।
— समीर द्विवेदी नितान्त