इलाहाबाद के मुक्तक सम्राट पाल प्रयागी
अगर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के मुक्तक रचना की बात करें तो साहित्य क्षेत्र में मुक्तक सम्राट राम कैलाश पाल प्रयागी का नाम आता है। इलाहाबाद में लिख डाला सारा मुक्तक। ऐसा साहित्य का महारथी। जगह-जगह के अनुभव के साथ मुक्तक व दोहा के लेखन में इलाहाबाद के ये साहित्यकार अपनी अलग पहचान रखते हैं। प्रादेशिक शिक्षा सेवा से सेवानिवृत्त होकर इलाहाबाद में साहित्य साधना में कर्मरत हैं। दोहा लेखन में भी सक्रिय हैं आप।
एक दोहा–
हृदय प्रेम रस घोल के, तन मन सकल भिगोय।
कहें गोपिका सांवरे, कहाँ गये हो खोय।।
कौशाम्बी का यह कवि इलाहाबाद का हो गया। इलाहाबाद में साहित्य साधना में लीन हैं आप। एक सच्चा साहित्यकार। आपकी रचना जीवन दर्शन के साथ रची बसी हैं जो सचमुच सच्चाई बताती है। जीवन को एक राह दिखाती आपकी मुक्तक एक नयी उर्जा प्रदान करती है। इलाहाबाद की माटी सोंधी महक देने वाले आप साहित्य में एक विशालता एवं गहराई लिए हुये हैं।
साधारण सादगी भरा जीवन। वही रुतबा, वही सादगी। एक गंभीर भावना। कोई ताम झाम नहीं। भारतीय संस्कृति को समेटे हुए खाटी व्यक्तित्व और सही मायने में पाल प्रयागी तीखे पैनेपन से साहित्य प्रेमियों के दिलों में बसने वाले आप धरातल से जुड़े सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। आज के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक हैं आपकी रचनायें। आपकी रचना को भुलाया नहीं जा सकता है।
नये-नये शब्दों के साथ रोज नई-नई रचनायें प्रस्तुत कर रहे हैं आप। एक अच्छा पाठक वर्ग आपने तैयार किया है। समाज में हर समस्या पर आपकी लेखनी एक नई दिशा दे रही है। आप इस अवस्था में भी सक्रिय हैं। यह भी युवाओं को एक संदेश दे रही है कि आप एक नये उर्जा से लबरेज हैं।
एक मुक्तक:- 15/12/23,
हर पथिक को पंथ का मिलता सहारा है,
जैसे अंधेरी रात में जुगुनू सितारा है।
समतल मिलेगी राह पर सीधी नहीं होगी,
पर तैरने वाले को ही मिलता किनारा है।
आपकी रचनायें आगे आने वाली पीढ़ियों को भी संदेश देती रहेंगी। आपकी कई पुस्तकें मुक्तक की प्रकाशित हुई हैं। साहित्य प्रेमियों को इनकी मुक्तक की पुस्तक पढ़नी चाहिए। जो मुक्तक लिख रहे हैं। इनकी पुस्तक पढ़ें। आप इलाहाबाद में मुक्तक सम्राट के नाम से मशहूर हैं। इलाहाबाद की साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं।
— जयचन्द प्रजापति “जय’