कविता

बेटों को बचाओ नशा छुड़ाओ

आजकल बेटियों को बचाने पर सबका है जोर

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बस एक यही है शोर

बेटियां तो अपनी मेहनत से आगे बढ़ रही हैं

लेकिन इस अनदेखी में बेटा हो गया है कमज़ोर

बेटी और बेटा दोनों से ही इस ज़हां की है शान

एक भी न हो तो यह महकता गुलसिताँ है वीरान

बेटियों पर दे रहे जरूरत से ज्यादा तब्बजो

बेटों पर कम हो गया है सभी का ध्यान

थोड़ा ध्यान अब बेटों पर भी दीजिए

समय बीत रहा है देर मत कीजिये

नशे की गिरफ्त में जो फंस गया है युवा 

सही रास्ते पर आ जाएं ऐसा कुछ कीजिये

उनके साथ बैठिए कुछ समय निकाल

क्या समस्या है जानिए उनके दिल का हाल

प्यार यदि उनको माँ बाप का मिल जाएगा

यकीन मानिए बदल जाएगी उनकी चाल

अपनी इच्छाएं मत थोपिए जो चाहें वही करने दीजिए

समझदार और बड़े हैं वो भी टोकाटोकी मत कीजिये

वो क्या करना चाहते हैं क्या उनके दिल में है

मन से करेंगे तो अच्छा ही होगा यह मान लीजिये

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र