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उदयपुर में हुआ 12 पुस्तकों का विमोचन

उदयपुर। डॉ. नितिन मेनारिया, उदयपुर ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि विज्ञान समिति, उदयपुर के डॉ. दौलतसिंह कोठारी सभागार में राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था साहित्य सागर के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ऋषि अग्रवाल ’सागर’, झुंझुनूं (राजस्थान) द्वारा आठवें साहित्यिक महोत्सव का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में अतिथि आदरणीय किशन दाधीच (वरिष्ठ साहित्यकार, उदयपुर), विशिष्ट अतिथि प्रो. मंजु चतुर्वेदी (कवयित्री एवं आलोचक, पूर्व प्राचार्य, कॉलेज शिक्षा, उदयपुर), प्रो. कुन्जन आचार्य (विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर), डॉ. कुन्दन कोठारी (संस्थापक एवं अध्यक्ष, विज्ञान समिति, उदयपुर) कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नितिन मेनारिया (उप प्रधानाचार्य, बाल विनय मन्दिर, उ.मा.वि., उदयपुर) एवं डॉ. ऋषि अग्रवाल ’सागर’(राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक, साहित्य सागर, निर्देशक श्री सत्यम् प्रकाशन) द्वारा 7 एकल संग्रह एवं 5 सांझा संग्रह पुस्तकों का विमोचन किया गया। मंच संचालन दीपा पंत ’शीतल’ (अध्यापिका, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय, सविना, उदयपुर) द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं अतिथियों के स्वागत व माल्यार्पण से हुआ। एकल संग्रह की 7 पुस्तकें ’’यादें’’ (मनोरमा शर्मा ’मनु’, हैदराबाद), ’’मन की मुंडेर पर’’(रेखा शर्मा, दिल्ली), ’’शुभम् भवतु शुभम्’’(देवीलाल जोशी, डूंगरपुर), ’’अवनी से अम्बर तक’’ (ममता कश्यप एवं दयाशंकर कश्यप, रावतभाटा), ’’बस याद तुम्हारी’’ (शंभूदयाल शर्मा, दतिया, मध्यप्रदेश), ’’मन शिवाला हो गया’’ (कला भरद्वाज, शीमला), ’’पलकों पर ठहरे ख्वाब’’ (रश्मि वैष्णव ’नज्.म’, उदयपुर) एवं साझा संग्रह की 5 पुस्तकें ’’नीलकमल’’, ’’सागर’’, ’’नीलाम्बरा’’, ’’कुमुदनी’’ एवं ’’मधुकोश’’ का विमोचन किया गया। जिसमें सम्पूर्ण भारत के विभिन्न प्रांतों से 100 से अधिक साहित्यकार पधारें। कार्यक्रम में सम्मिलित सभी साहित्यकारों ने अपनी काव्य प्रस्तुती देकर आयोजन में शमा बांधा।
कार्यक्रम के अतिथि किशन जी दाधीच ने अपने सम्बोधन में कहा कि उदयपुर शहर में साहित्य सागर संस्था द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम सराहनीय है। सम्पूर्ण भारत को एक सुत्र में बांधकर राष्ट्रवाद के प्रति लोगों का जुड़ाव अभिभूत है, अपनी साहित्य एवं संस्कृति को बचाना भी राष्ट्र की रक्षा करना है। कई राज्यों के साहित्यकारों का संगम और सभी को जोड़ना बहुत बड़ा कार्य है। दाधीज जी ने बताया कि प्रकाशन का स्तर बहुत श्रेष्ठ है। साहित्यकारों को बधाई देते हुए अपनी स्वयं की कविता को आलोचना से गुजरने पर भी जोर दिया गया। कविता के भीतर तुकबंदी कर उसका निर्माण करना कोई भी जान सकता है लेकिन उसमें कविता कितनी है यह पाठक उसे पढ़कर ही बता सकता है। कोई अपनी कविता को पढ़ कर रोया है तो कविता में कितना मर्म छुपा है यही कविता की जीवंतता है। 

कार्यक्रम में अतिथि प्रो. मंजु चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में बताया कि कविता में आलोचना एवं समीक्षा होना भी अनिवार्य है जिससे हमारा लेखन श्रेष्ठ हो। उदयपुर पधारे सभी कवियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। अतिथि प्रो. कुन्जन आचार्य जी ने सम्बोधन में कहा कि आज का युग डिजिटल का युग है। आप अपनी कविता फेसबुक, इन्स्टा, एक्स ट्विटर इत्यादी मंच पर प्रसारित करते है तो आपको एक अच्छा प्रकाशक मिल जायेगा। पहले के दौर में प्रकाशन इतना आसान नहीं था। हमें डिजिटल युग में साहित्य चारी का भी ध्यान रखना होगा। अतिथि डॉ. कुन्दन कोठारी ने बताया कि उदयपुर में ऐसा बड़ा साहित्यिक कार्यक्रम पहली बार विज्ञान समिति सभागार में पहली बार आयोजित हुआ है। साहित्य और विज्ञान के सम्बंध में कवियों से वे रूबरू हुए।
आयोजन के अध्यक्ष डॉ. ऋषि अग्रवाल ’सागर’ ने अपने सम्बोधन में संस्था का परिचय देते हुए बताया कि यह आठवाँ साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया है। भावी आयोजन पर प्रकाश डालते हुए नियमित साहित्यिक गतिविधियों एवं पत्र पत्रिका के संचालन के संबंध में जानकरी प्रदान की गई।

डॉ. ऋषि द्वारा सभी अतिथीयों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सभी कलमकारों को मंच पर शॉल, प्रशस्ती पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उदयपुर में सफल रूप से कार्यक्रम के आयोजन हेतु समन्यवक डॉ. नितिन मेनारिया एवं दीपा पंत ’शीतल’ को शॉल, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ती पत्र द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डॉ. नितिन मेनारिया द्वारा धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में साहित्य सागर के सह संचालक स्नेहा अग्रवाल ’गीत’, कला भारद्वाज, बालमीक प्रसाद सोनी, रश्मि वैष्णव, रूप भारद्वाज, राघव अग्रवाल, श्यामा भारद्वाज, मधु शर्मा एवं साहित्य सागर परिवारजन, उदयपुर के कई गणमान्य उपस्थित हुए।

डॉ. नितिन मेनारिया

नाम : नितिन मेनारिया माता का नाम : श्रीमती निर्मला मेनारिया पिता का नाम : श्री शंकरलाल मेनारिया शिक्षा : एम.ए. बी.एड़ प्रकाशन विवरण : कवि की राह (एकल संग्रह), अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह), शब्द कलश (सांझा संग्रह), सम्मान का विवरण : ग़जल सागर द्वारा साहित्यकार सम्मान 12 अप्रेल 2015, भाषा सहोदरी हिन्दी द्वारा सम्मान 13 जुलाई 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा "शब्द कलश सम्मान", "दीपशिखा सम्मान", "साहित्य सरताज सम्मान" 03 जनवरी 2016 साहित्य सागर द्वारा युग सुरभि सम्मान 17 जुलाई 2016 जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान 25 सितम्बर 2016 लेखन : स्वतंत्र लेखन, पत्र पत्रिकाओं में बाल कहानी, लेख एवं कविताओं का प्रकाशन, अंर्तजाल पर दैनिक रचनाऐं। अब तक 240 से अधिक रचनाऐं, 1 लेख, 3 कहानीयाँ एवं 3 यात्रा वृतान्त लिखे गये हैं। आकाशवाणी पर काव्य पाठ : आकाशवाणी उदयपुर केन्द्र से 8 अक्टुबर 2015 को काव्य पाठ प्रसारित हुआ। पत्र पत्रिका : उदयपुर से प्रकाशित हिन्दी मासिक पत्रिका ’’समुत्कर्ष " एवं ’’प्रत्युष ", सीकर से प्रकाशित पत्रिका ’’शिखर विजय", भोपाल से प्रकाशित ’’लोकजंग " में रचनाओं, कहानी एवं लेख का प्रकाशन। वेब पत्रिका : जय-विजय, मेरे अल्फाज़ में रचनाओं का प्रकाशन। काव्य गोष्ठी : युगधारा साहित्यिक मंच पर काव्य पाठ किया गया। गज़ल सागर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 12 अप्रेल 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 03 जनवरी 2016 मेरे बारे में:- मेरा जीवन परिचय:- मेरा जन्म 7 मार्च 1983 को राजस्थान के उदयपुर जिले में हूआ। मेरी शिक्षा झीलों की नगरी, उदयपुर में हूई। मैनें वर्ष 2008 में हिन्दी साहित्य विषय में स्नात्तकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्र्तीण की। उक्त समय से ही मेरा हिन्दी साहित्य की और अधिक रूझान बढ़ता गया। एवं 2011 में बी.एड. प्रथम श्रेणी मे किया। मैं एम.ए. बी.एड़ हूँ। वर्तमान में पिता के निजी विद्यालय बाल विनय मन्दिर, उ.मा.वि. उदयपुर में कम्प्यूटर प्रबन्धक एवं व.लि. पद पर कार्यरत हूँ। वर्तमान में उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर एम.एड़ अध्ययनरत हूँ एवं निकट भविष्य में पी.एच.डी करना लक्ष्य निर्धारित है। मैनें वर्ष 2012 से कुछ पंक्तिया लिखना प्रारम्भ किया एवं वर्ष 2013 से रचनाऐं लिखी। जब रचनाओं का संकलन हुआ तब मन में एक आशा और विश्वास कायम हूआ और कवि की राह, अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह) एवं शब्द कलश (सांझा संग्रह) के माध्यम से मेरी रचनाऐं आप तक पहूँच पायीं। हालांकि आज के दौर में लेखन कार्य कम ही लोग करते है मैं भी दैनिक समय में एक घंटा ही लेखन करता हूँ। आज इन्टरनेट का वर्चस्व है मैंने इन्टरनेट पर भी हिन्दी साहित्य को अपना केन्द्रबिन्दू रखा। फेसबुक पर कवियो को मित्र बना उनसे सीखा और मेरी रचनाओं पर जब प्रतिक्रिया आने लगी तो मैं अधिक से अधिक लिखता गया और आज इस मुकाम तक पहूँचा।