गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सच के सारे कोण अलग हैं

जीवन के सब मोड़ अलग हैं।

चलते- चलते खुल ही जायें

अनुबंधों के जोड़ अलग हैं।

राह चला -चल एक मुसाफिर

रास्तों के भी तोड़ अलग हैं।

जीना भी तो मुश्किल लगता,

जीने की भी होड़ अलग है।

स्मृतियों की दालानें भी,

सारा वैभव छोड़ अलग हैं।

हाय! सितारों जैसी दुनिया,

रंग उनका बेजोड़ अलग है।

प्रतिबंधित जीवन क्या जीना,

खुली सांस की होड़ अलग है।

रचने – बसने का आकर्षण,

मुक्त गगन की खोड़ अलग है।

झूठ न बोले कभी आइना,

सच का तो हर जोड़ अलग है।

जीवन कठिन प्रमेय बनी अब ,

इतिसिद्धम का कोण अलग है।

कुछ खोना कुछ पाना है तो,

प्रतिक्षण लगती होड़ अलग है।

— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890