मेरे राम
राम जी का संदेश साफ है
मेरे भक्त मेरा अनुसरण करें
मेरी मर्यादा का वरण करें,
खुद के साथ मुझ पर भी विश्वास करें।
बस इतने भर से मान सम्मान
स्वत: ही बढ़ जायेगा,
जिसकी कल्पना तक नहीं करते,
वो भी मिल जायेगा,
जहाँ की लालसा भी नहीं होगी
वहाँ तक स्वमेव पहुंच जाओगे।
धैर्य और विश्वास का उदाहरण सामने है
क्या अब भी इसे नजर अंदाज कर पाओगे?
सत्य और जनमत को भला तुम रोक पाओगे?
मेरी मर्यादा झूठी या इतनी कमजोर तो नहीं
जो तुम चुटकी बजाकर उड़ा ले जाओगे,
स्वार्थ और धर्मांधता की राह पर चल कर
अपने कल्पनाओं की मंजिल पा जाओगे?
यह बात अब भी समझ क्यों नहीं आता?
आखिर कब तक अपने आपको गुमराह करोगे?
या सबकुछ समझकर नासमझ बनते रहोगे।
राम काल्पनिक है कल तक जो कहते रहे
वे ही बता दें भव्य मंदिर में फिर कौन राम आया है?
मेरे धैर्य की परीक्षा का परिणाम ही आइना है
मैं राम था, राम हूं, और राम ही रहूंगा
बस यही बात कहने यहाँ राम आया है।