दस्तूर
बहता है दर्द तो
लफ़्ज़ों में पिरो दो
झरता है इश्क़ तो
अल्फाज़ो में बटोर लो।
मिलता नहीं कोई
शख्स इश्क करने को
तो ख्वाबों में
किसी से इजहार कर दो।
मिलता नहीं कोई अपना
हाल-ऐ- दिल बतलाने को
तो परायो से थोड़ी
गुफ्तगू कर लो।
करता नहीं कोई वाह
बेहतरीन कार्य करने पर
तो खुद ही आह को
वाह बना लो।
— डॉ. राजीव डोगरा