लघुकथा

लघुकथा – आँसू

रोहित अपनी मम्मी नेहा से बोला “आपको मेरे दोस्तों के सामने हिंदी बोलने की क्या जररूत थी आपने मेरी उनके सामने मेरी बेज्जती करवा दिया “

यह सुन लता के आखों में आँसू आ गए और बोली ” बेटा हिंदी तो हमारी  मातृ भाषा है उसको बोलने में हमे कैसी शर्म हमें अपनी भाषा पर अभिमान होना चाहिए कि हम उस देश में रहते जहां हिंदी भाषा बोली जाती है हम भारत वासी है अगर हम ही इसका सम्मान नहीं करेगें तो और लोग कैसे यह बात समझेंगे. जब तुमने बोलना सीखा वह पहला  शब्द माँ था जो हिंदी था वैसे ही हिंदी भाषा भी हमारी माँ है इसके बोलने से हमें गर्व होना चाहिए.”

यह सुनकर रोहित अपनी माँ से माफी मांगने लगा ओर बोला ,” आज से मैं हिंदी में ही सारे काम करूंगा हिंदी में ही बोलूँगा” यह कह रोहित अपनी माँ के गले लग गया[….]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश