कविता

शहर में दंगा

सुना है आज शहर में कोई दंगा हुआ है,

आज छोटा नहीं बहुत बड़ा पंगा हुआ है,

कैसे कैसे बदल रहे हैं हालात,

ऐसे लग रहा है जैसे आम आदमी का जीना महंगा हुआ है।

जिस प्रदेश में गाली देना भी बुरा मानते थे लोग,

उस प्रदेश में अब हथियारों से भी हमला होने लगा है,

आखिर क्यों बेच रहा ज़मीर आदमी अपना ,

क्या देवभूमि में जन्म लेना गुनाह हुआ है।

जैसे जैसे हो रहे हम विकसित,

वैसे वैसे क्यों किसी की सोच हो रही विकृत,

क्या ये नशा आ रहा इंसानियत के बीच में,

क्यों इंसान इंसान का दुश्मन बना हुआ है।

जिस प्रदेश में लोग चैन की नींद सोते थे कभी,

वहां अब लूटपाट चोरी डकैती,

शराब और चिट्टा आम हो रहा रहा है,

कैसे बचाएं आखिर नई पीढ़ी को इनसे,

आने वाले समय में ये बहुत बड़ा स्कैम हो रहा है।

स्वरचित एवम अप्रकाशित रचना

— डॉ जय अनजान

डॉ. जय महलवाल

लेफ्टिनेंट (डॉक्टर) जय महलवाल सहायक प्रोफेसर (गणित) राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर कवि,साहित्यकार,लेखक साहित्यिक अनुभव : विगत 15 वर्षो से लेखन । प्रकाशित कृतियां : कहलूरी कलमवीर,तेजस दर्पण,आकाश कविघोष ,गिरिराज तथा अन्य अनेक कृतियां समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में प्रकाशित प्राप्त सम्मान पत्रक या उपाधियां : हिंदी काव्य रत्न २०२४, कल्याण शरद शिरोमणि साहित्य सम्मान२०२२, कालेबाबा उत्कृष्ठ लेखक सम्मान२०२२,रक्तसेवा सम्मान २०२२ 22 बार रक्तदान कर चुके हैं। (व्यास रक्तदान समिति, नेहा मानव सोसाइटी, दरिद्र नारायण समिति देवभूमि ब्लड डोनर्स के तहत) महाविद्यालय में एनसीसी अधिकारी भी हैं,इनके लगभग 12 कैडेट्स विभिन्न सरकारी (पुलिस,वन विभाग,कृषि विभाग,aims) सेवाओं में कार्यरत हैं। 1 विद्यार्थी सहायक प्रोफेसर और 1 विद्यार्थी देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT में सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में इनको हिंदी काव्य रत्न की उपाधि (10 जनवरी) शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा नवाजा गया है। राष्ट्रीय एकता अवार्ड 2024 (राष्ट्रीय सर्वधर्म समभाव मंच) ई– ०१ प्रोफेसर कॉलोनी राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर हिमाचल प्रदेश पिन १७४००१ सचलभाष ९४१८३५३४६१