लघुकथा

सादगी

साहित्य की दुनिया में कमल जी का बड़ा नाम था। पुराने जमींदार थे।‌लेकिन निहायत ही सज्जन और सरल थे।‌हालांकि वर्तमान में आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बाद भी स्वाभिमान से समझौता उनका स्वभाव नहीं था। उनकी लेखनी यथार्थ का आइना होती थी। दूर दूर से कवि सम्मेलनों में उन्हें बुलाया जाता था। लोग उनको सुनने को लालायित रहते थे। कवि/कवयित्रियां उनका आशीर्वाद पाने को अपना सौभाग्य समझते थे। चाहते तो पैसों का अभाव न होता, लेकिन सादगी, स्वाभिमान और स्वच्छंदता के कारण जो मिला, उसे बिना देखे जेब के हवाले कर लिया। आज कमल जी की मृत्यु उनके पैतृक घर पर देश के विभिन्न अंचलों से साहित्यिक विभूतियों का जमघट लगा था । व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को आगे आना पड़ा। आम क्षेत्रीय लोगों को अब पता चल रहा था कि उनके बीच इतना बड़ा व्यक्तित्व रहता था। आश्चर्य तो तब हुआ जब लोगों को यह पता चला कि कम पढ़े लिखे कमल जी पर शोध भी किया जा रहा था। लेकिन सादगी के कारण उनकी अहमियत घर की मुर्गी….. जैसी थी। आज लोगों और मीडिया में कमल जी की ही चर्चा हो रही है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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