कविता – एक पेड़
मां तेरी परछाई से,
खुशियां मिलतीं हैं।
इस कारण पर्यावरण सुरक्षित रखना,
हमारा कर्तव्य है।
जन-जन की आकांक्षाओं को पूरा करने में,
हमें बढ़ने की जरूरत है,
यही जनमानस का सम्पूर्ण सन्देश भेजने की व्यवस्था करना,
हम-सब का दायित्व है।
यही हमें ज़िन्दगी में,
सुकून देने वाली ताकत बनकर,
पर्यावरण को स्वच्छ और निर्मल रखने में,
मददगार बनेंगी।
ग्लोबल वार्मिंग से बचने की,
जरूरत हम समझेंगे,
यही उन्नत आभार होंगी।
उम्मीद बनाएं रखने में,
पेड़ पौधे को उत्तम स्थान देते हुए,
हमेशा सम्मान करना चाहिए।
नजदिकियां बढ़ाने में,
इसकी वजह से रूबरू कराने में,
सबकी भागीदारी से हल निकालने की,
जरूरत पड़ती है,
यह दृश्य देखकर,
समझने की ताक़त से,
आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।
एक पेड़ से सम्मान है,
पृथ्वी पर अभिमान है।
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
सबका होगा उचित सम्मान है।
नदियां और झीलें उन्मुक्त भाव से,
चहकती फुदकती रहती है।
कलरव करते हुए पक्षियों की झुण्ड सुनहरी लगने से,
उम्मीद बनाएं रखने में,
हौसला अफजाई करते हुए,
तरंग में इन्सानियत को,
जीवित रखने में,
सबसे आगे रहतीं हैं।
समर्पण मेहनत जोश में आकर,
हमें प्रकृति से खिलवाड़ करने में,
दूरियां बना कर रखना चाहिए।
पेड़-पौधे पशु-पक्षी और सुकून देने वाली ताकत से,
रूबरू होते हुए,
उन्मुक्त गगन में उड़ते हुए रहना चाहिए।
एक पेड़ मां के नाम से मशहूर होना,
एक सुखद अहसास दिलाने में अहम भूमिका निभाने का,
कार्य करती है।
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
उत्साह और उमंग की,
भरमार दिखता है,
यही जिंदगी की सबसे ऊंची उड़ान भरने की,
ताकत बनकर,
हम-सब से मिलकर रहने को कहतीं हैं।
— डॉ. अशोक, पटना