कौआ है सरदार
कुर्सी मिलते ही हुआ, नेता लापरवाह
रहता है बनकर सदा, देखो वो शहंशाह
कुर्सी पर ही बैठकर, नेता दे संदेश
खुशहाली घर-घर मिले, आगे बढ़ता देश
कुर्सी पाकर के सदा, नेता जी इठलाय
खुद की छवि को वो स्वयं, साफ सुथरी बताय
महंगाई की लग गई, हर चीजों में आग
ऐसे में ग़रीब यहां, कैसे मनाय फाग
राजनीति में बह रही, उल्टी देख बयार
कोयल बैठी जेल में, कौआ है सरदार
अफसर देता है सदा, देख देश को पीर
आती जो भी योजना, खाता उससे खीर
जनता ने देखी नहीं, अपने आंगन भोर
नेता जो आये यहां, निकले यारों चोर
झूठों के गाते सदा, सदैव ही गुणगान
वही सफल होते यहां, रमेश जी श्रीमान
आजादी से आज तक, खींचते रहे खाल
ग़रीब तो है आज तक, रमेश पुरसाहाल
नेता से अब पूछिये, राम और रहमान
कब आयेगी रोशनी, उनके घर श्रीमान
— रमेश मनोहरा