कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा
दुश्वारियां कितनी भी हों, कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।
हिम्मत कभी नहीं हारना, तूफानों से भिड़ता जा।
अपने कर्म से ही लिखना, इतिहास सदा कुर्बानी का।
लक्ष्य को हासिल करना, हरउम्र नशा हो जवानी का।
हों मुसीबत कितनी खड़ी, हौसले से तू लड़ता जा।
दुश्वारियां कितनी भी हों, कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।
जो मन रखें ख्वाब बनाके, पूरे करने हम को सपने।
मेहनत से ही फल मिलता,तब दिन भले होंगे अपने।
सीढ़ी मंजिल की धैर्य से, धीरे धीरे बस चढ़ता जा।
दुश्वारियां कितनी भी हों, कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।
मिले असफलता जीवन में, निराश कभी नहीं होना।
कर्म करना धर्म है तेरा, किस्मत समझ नहीं है रोना।
तुम मिटेगा हर मुश्किल का, लिए मशाल चलता जा।
दुश्वारियां कितनी भी हों, कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।
दुश्वारियां कितनी भी हों, कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।
हिम्मत कभी नहीं हारना, तूफानों से भिड़ता जा।
— शिव सन्याल