मीरा बाई: एक भक्ति संत और कवयित्री।
मीरा बाई एक महान भक्ति संत और कवयित्री थीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने के लिए कई सुंदर कविताएँ और गीत लिखे। उनकी कविताओं में भगवान कृष्ण के प्रति उनका गहरा प्रेम और समर्पण दिखाई देता है, और उनकी भक्ति की गहराई और सच्चाई ने उन्हें एक महान संत और कवयित्री बनाया।
मीरा बाई की कविताएँ और गीत भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को व्यक्त करते हैं। यहाँ कुछ उनकी प्रसिद्ध कविताएँ और गीत हैं:
- “पायल बाजे री धुन” – यह कविता मीरा बाई की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है, जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
- “मेरे तो गिरधर गोपाल” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना पति माना है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
- “मैं तो सुनी री पुकार” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण की पुकार सुनी है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
- “चल मीरा तेरी प्यारी” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है और उनके साथ जाने की इच्छा व्यक्त की है।
- “मीरा के प्रभु गिरधर नागर” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना प्रभु माना है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
इन कविताओं में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त किया है, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं।
मीरा बाई का जन्म 1498 में मेड़ता में हुआ था, जो वर्तमान में राजस्थान में है। उनके पिता रतन सिंह एक राजा थे, और उनकी माता वीर कुंवर एक रानी थीं। मीरा बाई का विवाह राणा सांगा से हुआ था, लेकिन उनका दिल भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित था, और वे अपने पति को भगवान कृष्ण का रूप मानती थीं।
मीरा बाई की कविताएँ भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को व्यक्त करती हैं, और उनकी कविताओं में संगीत और नृत्य का महत्व भी दिखाई देता है। उनकी कविताओं में भगवान कृष्ण के साथ उनके प्रेम के खेल और उनकी भक्ति की गहराई का वर्णन किया गया है, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं।
मीरा बाई की मृत्यु 1547 में हुई थी, लेकिन उनकी कविताएँ और उनकी भक्ति की गहराई आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। वे एक महान संत और कवयित्री थीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने के लिए कई सुंदर कविताएँ और गीत लिखे, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं। मीरा बाई के जीवन में भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षण की शुरुआत उनके बचपन से हुई थी। उनके माता-पिता भगवान कृष्ण के भक्त थे, और वे घर में भगवान कृष्ण की पूजा और भजन करते थे। मीरा बाई को भगवान कृष्ण की कहानियाँ और भजन सुनने को मिलते थे, और वे भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षित हो गईं।
एक कहानी के अनुसार, मीरा बाई को भगवान कृष्ण की मूर्ति देखने को मिली थी, और वे उस मूर्ति के प्रति आकर्षित हो गईं। उन्होंने भगवान कृष्ण को अपना पति मान लिया और उनके प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने लगीं।
मीरा बाई के विवाह के बाद भी, उनका मन भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षित रहा, और वे अपने पति को भगवान कृष्ण का रूप मानती थीं। उनके पति की मृत्यु के बाद, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को और भी गहराई से व्यक्त करना शुरू किया, और उन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया।
इस प्रकार, मीरा बाई के जीवन में भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षण की शुरुआत उनके बचपन से हुई थी, और उनका यह आकर्षण उनके जीवन भर बना रहा।
— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह