कविता

अलविदा रत्न टाटा तुम्हें आखिरी प्रणाम

दे रहा देश तुम्हें नम आंखों से विदाई
कभी भूलेंगे नहीं हम रत्न टाटा भाई
बुझने नहीं देंगे याद करते रहेंगे सदा
जनसेवा की मशाल जो तूने थी जलाई

देशभक्ति का जज्बा दिल में
था कूट कूट कर भरा
गरीबों के उत्थान के लिए
मन सोचता रहता था सदा

न पैसे का घमंड न सत्ता का लालच
दूरदर्शिता से देश को आगे बढ़ाया
जितना कमाया सब देश में लगाया
भारत का नाम सारी दुनियां में चमकाया

कहां मिलेगा तुम्हारे जैसा दयावान
आज दुखी हो रहा होगा भगवान
जो तूने किया वह कोई नहीं कर पायेगा
भूलेगा नहीं रत्न टाटा तुझे कभी हिन्दोस्तान

अलविदा रत्न टाटा तुम्हें आखिरी प्रणाम
लौट कर फिर आना तुम अपने हिंदुस्तान
अधूरे जो रह गए होंगे कुछ सपने
अगले जन्म पूरे कर जाना वह काम
रत्न टाटा तुम्हें आखिरी प्रणाम

== रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र

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