कविता

झूठ बोलना पाप बड़ा

नैतिकता के नियमों को अपना,
सच्चा साथी कहता हूं,
अनय देखकर चुप नहीं रहता,
सच कहने से कब डरता हूँ!

सच कहना सुख-संतुष्टि देता,
झूठ बोलना पाप बड़ा,
सच को साबित पड़े न करना,
झूठा रहता सदा अड़ा।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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